अस्त होते सूर्य को दिया अर्घ्य

घटों मे नदी के जल मे खड़ी रहीं महिलायें, आज संपन्न होगा महान पर्व छठ
उमरिया। सूर्य की उपासना का महान पर्व छठ जिले भर मे श्रद्धा और विश्वास के सांथ मनाया जा रहा है। षष्ठी पर मंगलवार की शाम महिलाओं ने जिले की विभिन्न नदियों के तट पर पहुंच कर सूर्य को अर्घ्य दिया। इस मौके पर परिवार की सुख, शांति और समृद्घि के लिए उन्होने लगभग तीन घण्टे तक पानी में खड़े रहकर भगवान सूर्य नारायण की कड़ी तपस्या की तथा उन्हे जल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। नदियों के घाटों पर शाम से ही श्रद्घालुओं के पहुंचने का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। चार बजे के बाद वहां अच्छा खासा मेला लग गया। घाट पर गन्ने के मण्डप सजाकर भगवान सूर्य को वे सारे पकवान अर्पित किए गए जो पूजा के लिए तैयार किए गए थे। घर के पुरुषों ने इन सारे पकवानों को टोकरी मे भरकर तथा सिर पर रखकर घाट तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी। उत्तर भारत के निवासियों का एक बड़ा वर्ग उमरिया मे निवाास करता है जिन्होंने इस पर्व को परंपरागत उल्लास के साथ मनाया।
ठेकुआ का लगाया भोग
सूर्य उपासना के इस पर्व पर यूं तो तरह.तरह के पकवानों को अर्पित किया जाता हैए लेकिन बिहार मे बनने वाले विशेष पकवान ठेकुआ का विशेष खासतौर से भगवान को लगाया गया। आटे का यह पकवान शक्कर अथवा गुड़ से तैयार किया जाता है जिसका छठ पूजा मे खासा महत्व है। इसी पकवान को पूजन के पश्चात प्रसाद के रूप में भी वितरित किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के साथ एक दूसरे को छठ पर्व की शुभकामनाएं दी गई।
सगरा में लोगों ने दिखाई आस्था
जिले के नौरोजाबाद, बिरसिंहपुर पाली, मंगठार आदि मे भी महिलाओं द्वारा भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित किया। यहां पर विभिन्न समितियों ने पूजा की व्यवस्थाएं थीं। सगरा तालाब मे पाली, कोल माइंस, बाबूलाइन, पाली प्रोजेक्ट तथा दफाई के लोगों ने आकर अर्घ्य अर्पित किया गया। जबकि संजय गांधी ताप विद्युत गृह कॉलोनी के लोगों ने मलियागुड़ा तालाब तथा जोहिला डेम में सूर्य को अघ्र्य दिया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। सगरा तालाब के पास मेले जैसा माहौल रहा।
ठंड का मौसम, कठिन उपासना
छठ पूजा की कठिन उपासना 36 घण्टे से ज्यादा लंबी चलती है। छठ से एक दिन पहले पंचमी की शाम को ही महिलाएं उपासना प्रारंभ कर देती हैं। इस दौरान खाना-पीना बंद कर दिया जाता है। छठ का पूरा दिन उपवास मे गुजरता है। इस दिन शाम को ढलते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। ठीक इसी तरह सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं। कार्तिक की ठण्ड मे न सिर्फ शाम को बल्कि सबेरे भी कई घण्टे तक घाटों के पानी मे खड़े होकर अघ्र्य अर्पित किया जाता है। आज गुरुवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के सांथ छठ मैया का पर्व संपन्न हो जायेगा।

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