अभिमानी को स्वीकार नहीं करते परमात्मा

मढिय़ा टोला मे श्रीमद् भागवत कथा सुनने उमड़ रहा श्रद्धा का सैलाब
बांधवभूमि, रामाभिलाष त्रिपाठी
मानपुर। नगर के मढिय़ाटोला मे श्यामलाल कुशवाहा के निवास पर आयोजित अमृतमयी श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने बड़ी संख्या मे श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गुरूवार को कथा के 6वें दिन दिव्य महारास प्रसंग की चर्चा करते हुए व्यासपीठाधीश्वर श्री सचिन शास्त्री जी ने कहा कि परमात्मा अभिमानी व्यक्ति को कभी स्वीकार नहीं करते। जीवात्मा ओर परमात्मा की लीला को ही महारास कहा जाता है। उन्होने बताया कि बाह्य जगत के पदार्थ अस्थिर और अतृप्ति कारक हैं, इन नश्वर और अपूर्ण पदार्थों मे आसक्ति ही दुख का मूल कारण है। जबकि परमात्मा सुख के स्त्रोत है और वे हमारे अंतस मे ही विद्यमान है। यह आत्मानुभुति ही मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है। आत्मानुभुति आत्मदर्शन से ही होगी। आत्मानुभुति मे विषयानुभूति के लिए अवकाश नहीं है। उसी तरह जो विषयानुभूति ले रहा है वह स्वानुभूति से वंचित रहेगा तथा जो स्वानुभूति ले रहा है वह विषयानुभूति से वंचित रहेगा। जो दोनो को एक साथ लेने का प्रयास कर रहा है। वह कहीं का आनन्द नहीं ले पाता। दोनों से वंचित रह जाता है। इस अवसर पर आचार्य सूर्य प्रकाश द्विेवेदी एवं पंडित रामाभिलाष त्रिपाठीजी द्वारा कृष्ण-रुक्मणि का दिव्य विवाह कराया।

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