अब लपलपाई गरीबों की चिमनी

अब लपलपाई गरीबों की चिमनी
मिट्टी तेल के दामो मे 7 रूपये लीटर की बढ़ोत्तरी, 1 नवंबर से नई कीमतें लागू
उमरिया। पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटने और सरकार द्वारा दीवाली गिफ्ट देने की चर्चाएं अभी थमी भी नहीं थी कि मंहगाई की एक और खबर ने आम लोगों के सुकून मे खलल डाल दिया है। बात गरीबों के घरों को रौशन करने वाली चिमनी से जुड़ी हुई है, जिसे जलाने वाले केरोसीन अर्थात मिट्टी के तेल मे इस महीने करीब 15 प्रतिशत की एक मुश्त बढ़ोत्तरी कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक यह मूल्यवृद्धि बीते नवंबर को की गई। जिसके बाद करीब 45 रूपये मे मिलने वाला मिट्टी तेल इस महीने से 52 रूपये मे मिलेगा। इसका सीधा असर गांव के कमजोर और गरीबों की जेब पर पड़ेगा जो पहले से ही मंहगाई की मार झेल रहे हैं।
पिछले महीने थे ये रेट
जिला खाद्य विभाग के सूत्रों ने भी मिट्टीतेल के दाम बढऩे की पुष्टि की है, परंतु फिलहाल वे यह नहीं बता पा रहे हैं कि बढ़ोत्तरी कितनी हुई है। उनका कहना है कि पिछले महीने जब मिट्टी तेल का उठाव हुआ था तब इसका विक्रय मूल्य 44 रूपये 22 पैसे प्रति लीटर था। ये दाम डिपो से केन्द्र तक की दूरी के हिसाब से घटते बढ़ते रहते हैं। उनके मुताबिक इस बार की बिलिंग के बाद ही तय होगा कि आखिर कम्पनियों ने इसमे कितनी बढ़ोत्तरी की है।
चूल्हे की ओर लौटे ग्रामीण
उल्लेखनीय है कि उज्जवला योजना के तहत मिलने वाली गैस के दामो मे बेतहाशा वृद्धि होने के कारण ग्रामीण वापस चूल्हे की तरफ लौट चुके हैं। अधिकांश घरों मे अब फिर से लकड़ी पर ही भोजन तैयार हो रहा है। ऐसे मे केरोसीन जीवन-यापन के लिये बेहद उपयोगी वस्तु हो गई है। वहीं गावों मे कटौती के दौरान अंधेरे को दूर भगाने के लिये चिमनी और लालटेन मे भी इसका उपयोग होगा है। कुल मिला कर केरोसीन की मूल्य लोगों के लिये नई मुसीबत बन कर आई है।
गरीबों की फजीहत
जानकारी के अनुसार शासन द्वारा जिले मे लगातार मिट्टी के तेल का आवंटन कम किया जा रहा है। इसका मूल कारण उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाले सिलेण्डर हैं। सूत्रों का मानना है कि जैसे-जैसे एनआईसी मे योजना के लाभार्थियों की फीडिग़ होती जायेगी, आवंटन और घटता जायेगा। एक जानकारी के मुताबिक वर्तमान मे जिले मे 1 लाख 26 हजार 787 पीला कार्डधारी हैं, जिन्हे 3 लीटर केरोसीन दिया जाता है। जबकि नीला कार्डधारियों को सिर्फ 1 लीटर केरोसीन प्रतिमांह दिया जा रहा है। इनमे बीपीएल, कर्मकार, रिक्शा चालक सहित करीब दो दर्जन श्रेणियां शामिल हैं। इन सभी वर्गो को अब मंहगाई की मार झेलनी पड़ेगी।

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