अब रोटी के भी पडऩे लगे लाले

साल भर मे 40 फीसदी मंहगा हुआ आटा, चावल मे 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
बांधवभूमि, उमरिया
डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस को छूते हुए मंहगाई की मार अब जनता की थाली तक पहुंच गई है। हालत यह है कि लोगों को रोटी तक के लाले पडऩे लगे हैं। बीते साल भर मे ही आटा 40 फीसदी मंहगा हो गया है, जबकि चावल मे 20 प्रतिशत का उछाल आया है। जिसकी वजह से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। गुड़, अचार या प्याज के सांथ रोटी खाकर पेट भरने वाले गरीब और मध्यम वर्ग के लिये अब यह काम इतना आसान नहीं रहा। जिले मे महज एक साल पहले तक जो आटा 28 रूपये मे मिल रहा था, वह अब 38 रूपये तथा 26 वाला गेहूं 36 रूपये प्रति किलो हो गया है। वहीं मीडियम क्वालिटी का चावल भी 40 से 48 रूपये पर जा पहुंचा है। जानकारों का मानना है कि देश मे गेहूं की किल्लत के कारण ही इसके दामो मे भारी वृद्धि हुई है। वहीं पिछले कई महीनो से राशन की दुकानो से गरीब परिवारों गेहूं नहीं मिल रहा है। बताया गया है कि लोग उचित मूल्य की दुकानो से मिला मुफ्त चावल बेंच कर गेहूं खरीद रहे हैं। जिसके लिये उन्हे अपनी जेब का पैसा खर्च करना पड़ रहा है।
रसोई मे जा रहा पूरा वेतन
जो लोअर, मिडिल क्लास 10 से 20 हजार रूपए महीना सैलरी पर जी रहे हैं, उनके लिए 5 साल मे सब कुछ बदल चुका है। महंगाई इस कदर बेलगाम है कि लोगों की सारी सैलरी तो अब राशन, दूध, सब्जी और सिलेण्डर पर ही खर्च हो जाती है। मकान का किराया बिजली-पानी बिल या बच्चों की स्कूल फीस तो अलग है। बात सिर्फ रसोई की हो रही है। 2016 मे 10-20 हजार के वेतन मे पूरा घर आसानी से चल जाता था, ऐसे लोगों को इतनी रकम से किचिन चलाना भी मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम स्थिर हैं। फिर भी दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं।
दाम नहीं, घटाया जा रहा वजन
कारोबार जगत के लोगों के मुताबिक कच्चे माल मे तेजी के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है। हालांकि कुछ कंपनियों ने वस्तुओं का वजन कम कर दिया है, लेकिन सामान महंगा नहीं किया है। इससे जनता को दोहरा नुकसान है। उधर कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन भी एक से डेढ़ फीसदी कम कर दिया है। ताकि प्रॉफिट मार्जिन के स्तर को बनाया रखा जा सके। बताया गया है कि जनवरी मे उपभोक्ता वस्तुओं मे 1 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
मसालों ने तीखा कर दिया स्वाद
बीते 5 साल मे भले ही जनता की आमदनी दोगुनी नहीं हुई हो पर रसोई का बजट जरूर डबल हो चुका है। मसालों के दाम भी इन पांच साल मे तेजी से बढ़े हैं। जीरा इस साल अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। सर्वाधिक उपयोग होने वाले साबुन, डिटरजेंट, सोडा, वेनजीन, पैकिंग कागज, प्लास्टिक, मिनरल्स, पीपी शॉप, स्टोन पाउडर, अगरबत्ती का बैंबू, ऑयल केमिकल, बिस्किट, आटा, मैदा और घी के भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।

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