अब रजिस्ट्री के सांथ ही होगी नामांतरण की प्रक्रिया
सायबर तहसीलदार करेंगे कार्यवाही, कम होगी भूमि विक्रेताओं की परेशानी
बांधवभूमि, उमरिया
भूमि के क्रय-विक्रय के बाद नामांतरण की प्रक्रिया को आसान, व्यवस्थित और सुचारू बनाने के लिये शासन द्वारा प्रदेश भर मे सायबर तहसील माड्यूल लागू कर दिया गया है। जिसके तहत रजिस्ट्री के समय ही क्रेता से नामांतरण के प्रारूप भी भरवा लिये जायेंगे। निर्धारित समय सीमा के भीतर सायबर तहसीलदारों द्वारा नामांतरण की प्रक्रिया पूर्ण किये जाने से संबंधित भू-अभिलेखों मे स्वयं ही विक्रेता का नाम दर्ज हो जायेगा। उक्ताशय की जानकारी देते हुए उप पंजीयक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि उमरिया जिले मे भी यह व्यवस्था शुरू हो गई है। इसके तहत संपूर्ण रकबा अर्थात बिना बटांकन वाली भूमि विक्रय के मामलों ने प्रकरण का निराकरण क्षेत्रीय सायबर तहसीलदार करेंगे, जबकि सहखातेदार, बटांकन और वर्गफुट मे होने वाली जमीनो की रजिस्ट्रियों के लिये प्रत्येक तहसील मे स्थानीय सायबर तहसीलदार कार्यवाही करेंगे।
इस तरह होगी प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया के लिये संपदा-2 साफ्टवेयर का उपयोग किया जायेगा। बताया गया है कि भूमि विक्रय पत्र निष्पादन के समय ही प्रारूप-क-1 मे निष्पादक की घोषणा एवं प्रारूप क-2 मे दावेदार की घोषणा तथा फीस की रसीद रेवन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम की वेबसाईट पर ऑनलाईन भेजी जायेगी। आईजीआरएस से प्राप्त उपरोक्त प्रज्ञापना पर प्रकरण आसीएमएस के नामांतरण मद अ-6 मे क्षेत्रीय तहसीलदार के दायरे मे पंजीबद्ध हो जायेगा। जिसके तत्काल बाद सभी प्रकरण सायबर तहसीलदार मे लॉगिन मे प्रदर्शित होने लगेंगे। जिन्हे 30 दिनो के भीतर बिना पक्षकारों को आहूत किये सायबर तहसीलदार द्वारा प्रकरण का ऑनलाईन विनिश्चय कर दिया जायेगा।
पहले क्या होता था
इससे पूर्व तक यह प्रक्रिया विभिन्न चरणो मे पूर्ण होती थी। सबसे पहले विक्रयशुदा भूमि की रजिस्ट्री के उपरांत नामांतरण का आवेदन तहसीलदार न्यायालय मे प्रस्तुत किया जाता था। जहां प्रकरण पंजीबद्ध होने के बाद इश्तहार जारी किया जाता था, सांथ ही पटवारी से प्रतिवेदन मंगवाया जाता था। प्रतिवेदन प्राप्त होने तथा विक्रेता का बयान होने के बाद तहसीलदार द्वारा नामांतरण आदेश जारी किया जाता था। उस आदेश के तहत पटवारी अभिलेखों मे भूमि स्वामी का नाम दर्ज करते थे।
रूकेगी धांधली और विवाद
जानकारों का मानना है कि सायबर तहसीलों की मदद से जमीनो की खरीद-फरोख्त आसान हो जायेगी। अभी तक भूमि की रजिस्ट्री होने के कई महीनो तक नामांतरण की प्रक्रिया लटकी रहती थी। इसकी वजह से क्रेता द्वारा राशि का भुगतान करने के बावजूद दस्तावेजों मे पुराने भूमि स्वामी का नाम ही दर्ज रहता था। कई बार विक्रेता दलालों के बरगलाने मे आ कर नामांतरण कीऔपचारिकता, गवाही आदि मे आनाकानी करने लगते हैं। दूसरी ओर महीनो तक रिकार्ड सुधार न होने की वजह से एक ही जमीन कई बार बेंचे जाने के मामले भी सामने आये हैं। सायबर तहसील प्रणाली लागू होने से जहां इस तरह का फर्जीवाड़ा और विवाद रूकेगा वहीं अपने खून-पसीने की कमाई से संपत्ति खरीदने वालों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
दूर होगी नागरिकों असुविधा
बदलते समय के सांथ, जरूरत के अनुसार व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाया जा रहा है। आवास, दुकान आदि संपत्तियों के विक्रय के बाद एक निश्चित समय सीमा मे उसका नामांतरण भी हो जाना चाहियेे। जिसे ध्यान मे रख कर शासन ने सायबर तहसील की सुविधा लागू की है। इसका लाभ नागरिकों को मिलेगा। सांथ ही किसी भी प्रकार के विवाद और गड़बडिय़ों की गुंजाईश समाप्त हो जायेगी।
बुद्धेश कुमार वैद्य
कलेक्टर, उमरिया