अब तक महज 17 फीसदी उपार्जन

सरकारी खरीद मे भारी गिरावट, बाजारों मे फसल बेंच रहे जिले के किसान
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे इस बार सरकारी एजेन्सियों के जरिये होने वाली गेहूं की खरीद मे भारी गिरावट दर्ज की गई है। एक जानकारी के अनुसार अभी तक सहकारी समितियों द्वारा संचालित उपार्जन केन्द्रों मे महज 8846 मीट्रिक टन फसल पहुंच पाई है। जो कि खाद्य विभाग द्वारा अनुमानित लक्ष्य 50 हजार का करीब 17 प्रतिशत है। उपार्जन कार्य आगामी 15 मई तक चलेगा, लिहाजा इसके लक्ष्य से काफी कम रहने उम्मीद है।
यह था सरकारी लक्ष्य
शासन द्वारा इस बार 34 हजार मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन का लक्ष्य तय किया गया था, जबकि जिले मे इसे बढ़ा कर 50 हजार मीट्रिक टन कर दिया गया था। जिला आपूर्ति अधिकारी बीएस परिहार बताते हैं कि गत 2021 के दौरान जब करीब 13 हजार किसानो ने अपना पंजीयन कराया था। उस साल गेहूं का उपार्जन 49 हजार मीट्रिक टन हुआ था। जबकि इस साल पंजीकृत किसानो की तादाद 14393 थी, जिसे देखते हुए हमने 50 हजार टन उपार्जन के हिसाब से तैयारियां की थी। इसी आधार पर उपार्जन केंद्रों पर बारदाने आदि अन्य व्यवस्थायें उपलब्ध कराई गई थी, ताकि ऐन वक्त पर समस्या उत्पन्न न हो।
ज्यादा भाव के बावजूद नहीं आ रहा माल
बताया गया है कि शासन द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2140 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जबकि बाजार मे इसकी कीमत 2000 रूपये है। दाम 140 रूपये कम होने के बावजूद किसान उपार्जन केन्द्रों की बजाय व्यापारियों के यहां अपनी उपज बेंच रहे हैं। किसानो के मुताबिक प्रशासन ने तो समर्थन मूल्य केन्द्रों पर बेहतर व्यवस्थायें की हैं, परंतु वहां बैठे कर्मचारी और दलाल उन्हे परेशान करते हैं। इसी वजह से सरकारी खरीद केन्द्रों मे अपना गेहूं लेकर नहीं जा रहे।
क्वालिटी को लेकर भी खींचतान
किसानो का कहना है कि समर्थन मूल्य केन्द्रों मे उनकी उपज लेने के दौरान कई प्रकार की नखरेबाजी होती है। यदि केन्द्र प्रभारी एवं क्वालिटी कंट्रेालर की मेहरबानी हुई तो भी छन्ना कराने की परेशानी से गुजरना पड़ता है । इसके अलावा नमी के नाम पर उनसे ज्यादा माल लिया जाता है। कई बार हलाकान हो कर किसान अपनी फसल केन्द्र के आसपास बैठे दलालों को बेंच कर चले आते हैं। बाद मे आधे दाम पर लिया गया कई क्विंटल माल फर्जी तौर पर किसानो के नाम से उपार्जन कर लिया जाता है। वहीं बाजार मे इस तरह की कोई समस्या नहीं है। यहां माल तुलते ही किसान के हांथ मे नगद पैसा आ जाता है।

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