4 सीएम ने किया केंद्र के प्रस्ताव का विरोध, कहा- यह संविधान के खिलाफ
नई दिल्ली। आईएएस प्रतिनियुक्ति नियमों में केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन पर विरोध तेज हो गया है। प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ऐतराज जताया है। इसे लेकर सभी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। दरअसल, मोदी सरकार आईएएस (कैडर) रूल्स, 1954 में बदलाव करना चाहती है। इसके अनुसार, राज्य सरकारों के आरक्षण (अधिकार) को बायपास कर केंद्र किसी भी आईएएस अफसर को डेपुटेशन पर बुला सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल मोदी सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच एक आईएएस अफसर की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। मोदी सरकार ने बंगाल के आईएएस अधिकारी अलपन बंद्योपाध्याय को उनके रिटायरमेंट के आखिरी दिन केंद्र सरकार को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन न तो अलपन ने ऐसा किया और न ही ममता ने उन्हें रिलीव ही किया। अलपन ने रिटायरमेंट ले लिया और ममता के मुख्य सलाहकार बन गए। अब मोदी सरकार आईएएस अफसरों की नियुक्ति के नियमों में ऐसा बदलाव करने जा रही है कि बंगाल या कोई भी राज्य सरकार केंद्र के बुलाने पर किसी भी आईएएस अफसर को भेजने से मना न कर पाए। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने इस प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया है।
क्या है आईएएस (कैडर) रूल्स
केंद्र में नियुक्ति के लिए आईएएस की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता का हवाला देते हुए मोदी सरकार ने आईएएस की नियुक्ति के नियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। केंद्र ने राज्यों से 25 जनवरी तक इस पर प्रतिक्रिया मांगी है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने केंद्र में आईएएस अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति के मौजूदा नियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। डीओपीटी ने 12 जनवरी को राज्यों को लिखे खत में कहा है कि केंद्र सरकार बनाम इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (कैडर) रूल्स 1954 के रूल 6 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में इस संशोधन को पेश कर सकती है। पश्चिम बंगाल की ष्टरू ममता बनर्जी ने इस प्रस्तावित संशोधन पर नाराजगी जताई है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु भी इसका विरोध कर रहे हैं।
बढ़ेगा केंद्र का दबदबा
माना जा रहा है कि अगर ये संशोधन पास हुआ तो आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की केंद्र में नियुक्ति के मामले में पूरी ताकत केंद्र सरकार के हाथ में चली जाएगी और ऐसा करने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति लेने की जरूरत नहीं रह जाएगी। यही वजह है कि बंगाल, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। केंद्र सरकार द्वारा आईएएस कैडर रूल 1954 के नियम 6 में चार संशोधन प्रस्तावित हैं।
यह संघीय ढांचे के खिलाफ
भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि इसका राजनीतिक दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय सेवा के कैडर से जुड़े नियमों में संशोधन का प्रस्ताव, अधिकारियों की पदस्थापना के अधिकार एकपक्षीय रूप से बिना राज्य सरकार और संबंधित अधिकारी की सहमति के प्रदान करते हैं। यह संविधान में रेखांकित संघीय भावना के खिलाफ है। उधर, सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि इस संशोधन के बाद कोई भी अफसर निष्ठा से काम नहीं कर पाएगा। उस पर एक्शन की तलवार लटकी रहेगी। उन्होंने कहा- इस संशोधन से केंद्र और राज्य सरकारों के लिए तय संवैधानिक क्षेत्राधिकार का उल्लंघन होगा।
महाराष्ट्र-पश्चिम बंगाल भी कर रहे हैं विरोध
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का कई गैर भाजपा शासित राज्य विरोध कर रहे हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की सरकारों ने भी विरोध किया। वहीं, केरल ने भी इस पर आपत्ति जताई है। सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को 8 दिन में दूसरी बार पीएम को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि इससे अफसरों में डर का माहौल पैदा होगा। उनका काम प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस पर फिर से विचार नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ये संघीय ढांचे के खिलाफ है।
आईएएस की नियुक्ति में केंद्र और राज्य के बीच होता रहा है टकराव
आईएएस की नियुक्ति और ट्रांसफर के नियम में प्रस्तावित संशोधन का बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने जोरदार विरोध किया है। ममता ने इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है। अशोक गहलोत ने कहा है कि इससे राज्य में पोस्टेड आईएएस अफसरों में निर्भीक होकर और निष्ठा के साथ काम करने की भावना में कमी आएगी। वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्तावित संशोधन में राज्यों और संबंधित अधिकारियों की सहमति को शामिल नहीं किए जाने को संविधान में उल्लेखित संघीय भावना के एकदम विपरीत बताया है। बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
अब केंद्र की मुट्ठी में होंगे ब्यूरोक्रेट्स!
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