अधर मे सैकड़ों अतिथि शिक्षकों का भविष्य
नई भर्र्ती के कारण छूटने लगी नौेकरी, खड़ा हुआ जीवन यापन का संकट
उमरिया। मप्र मे चयनित शिक्षकों की भर्ती पर लगी रोक हटते ही जिले के शासकीय स्कूलों मे वर्षो से अपनी सेवायें दे रहे अतिथि शिक्षकों को नौकरी से हांथ धोना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग अब तक दर्जनो गुरूजियों को सेवा से पृथक कर चुका है। जबकि आने वाले दिनो मे कई का घर बैठना तय है। ऐसे मे अतिथि शिक्षकों और उनके परिवारों के सामने जीवन-यापन का संकट खड़ा हो गया है। उल्लेखनीय है कि वर्षो से चयनित होने के बाद भी प्रदेश मे शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही थी, जिसे लेकर चयनित शिक्षक लगातार आंदोलन कर रहे थे। विरोध उग्र होने के बाद सरकार ने हाल ही मे इनकी नियुक्ति पर लगी रोक हटाने का निर्णय लिया था। अब जिन-जिन स्कूलों मे शिक्षकों की भर्तियां हो रही है, वहां पर तैनात अतिथि शिक्षकों को हटाया जा रहा है। जिसकी वजह से वे तथा उनके परिवार परेशान हैं।
वर्षो से कर रहे नौकरी
सूत्रों के मुताबिक जिले के विभिन्न सरकारी स्कूलों मे करीब 200 से अधिक अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। इनमे से कई 12-14 से भी अधिक सालों से नौकरी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक नई भर्ती होते ही इन सभी का हटना तय है। ऐसे मे अब ये कहां जायेंगे, इसका जवाब किसी के पास भी नहीं हैं।
अन्य राज्यों ने किया अर्जेस्ट
जानकारों का मानना है कि नई भर्ती के सांथ ही अन्य राज्यों की तरह मप्र सरकार को भी पॉलिसी बना कर अतिथि शिक्षकों को पुर्नस्थापित करना चाहिये। बताया गया है कि देश के करीब आधा दर्जन राज्यों ने स्थाई भर्ती के बाद पहले से तैनात अतिथि शिक्षकों को नकेवल अर्जेस्ट किया है बल्कि पद स्थाई करते हुए 62 साल तक उनका कार्यकाल भी निर्धारित कर दिया है। जबकि राज्य सरकार ने उन्हे अधर मे छोड़ दिया है।
नहीं माना न्यायालय का आदेश
बताया गया है कि हाल ही मे एक याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को अतिथि शिक्षकों के लिये ठोस रणनीति बनाने का आदेश दिया गया था। इसके लिये 4 मांह की समय सीमा निर्धारित कर तब तक शिक्षकों को कार्य से पृथक न करने हेतु निर्देशित किया गया था परंतु सरकार आनन-फानन मे अतिथि शिक्षकों को हटाती जा रही है।
अन्याय को रोके सरकार
प्रदेश की तरह जिले मे भी बिना कोई व्यवस्था किये नौकरी से हटाये जाने के खिलाफ अतिथि शिक्षक समन्वय समिति द्वारा महामहिम राज्यपाल के नाम का ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया है। ज्ञापन मे कहा गया है कि शिक्षक भर्ती के कारण वर्षो तक सेवायें देने वाले 12 हजार शिक्षकों का भविष्य असुरक्षित हो गया है। जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखण्ड की तर्ज पर शिक्षकों के हित मे नीति बनाये ताकि बेरोजगारी और अन्याय की पीड़ा से उनकी रक्षा हो सके। इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र चतुर्वेदी, सूर्यप्रकाश गौतम, बैजनाथ शुक्ला, बादल पयासी, सुनील सिंह परिहार, प्रांशु त्रिपाठी आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।
अधर मे सैकड़ों अतिथि शिक्षकों का भविष्य
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