अंतिम सुनवाई मे बचने का जुगाड़ लगा रहे धांधलीबाज
जिला पंचायत मे ले दे कर मामला सलटाने की फिराक मे सचिव और रोजगार सहायक
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी
मानपुर। जिले की ग्राम पंचायतों मे धांधली कर लाखों का वारा-न्यारा करने वाले सचिव और रोजगार सहायक की नौकरी अब सीईओ साहब द्वारा की जाने वाली अंतिम सुनवाई पर टिकी है। इसे देखते हुए धांधलीबाज मामले को रफा-दफा करने की कोशिश मे भिड़ गये हैं। हलांकि अंतिम सुनवाई का मकसद भी संदिग्ध है। जानकारों का दावा है कि ग्रामीण अंचलों के विकास कार्यो और योजनाओं मे फर्जीवाड़ा कर अकूत संपदा जोडऩे वाले कर्मचरियों से जिले के भ्रष्ट अधिकारियों को भी काफी उम्मीदें हैं। खबर यह भी है कि कई आरोपी सचिव और रोजगार सहायक जनप्रतिनिधियों को मैनेज कर कार्यवाही रोकने का दबाव भी बना रहे हैं। भ्रष्टाचार से भ्रष्टाचार को काटने का यह दांव कितना कारगर होगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों मे हुई धांधली की जांच के बाद शिकायतें प्रमाणित होने पर प्रशासन द्वारा कुल 20 सचिवों व रोजगार सहायकों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही के निर्देश जारी किये गये थे। इसमे एफआईआर से लेकर बर्खास्तगी, वेतन काटने और राशि वसूली जैसी कार्यवाही शामिल है।
इन पर एफ आईआर की कार्रवाई
मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत मुगमानी के रोजगार सहायक दीप नारायण चतुर्वेदी तथा ददरौंड़ी के शंकर दहिया के विरुद्ध एफआइआर के आदेश जारी किए गए हैं।
ये हुए निलंबित
ग्राम पंचायत टिकुरी के सचिव सुंदरलाल जायसवाल, अमिलिहा के सचिव प्रेमदास सिंह, सेमडारी के सचिव दरोगा सिंह, दुलहरी के सचिव कैलाश झारिया, मानपुर के सचिव संतोष दुबे, रथेली के इतुवा यादव, कोहका के सचिव राजबहोर बैगा, बरहटा के सचिव माधव सिंह निलंबित होने वाले सचिवों मे शामिल हैं।
इन्हे मिला बचाव का मौका
इसी तरह ग्राम पंचायत मानपुर के रोजगार सहायक शरद गुप्ता, ग्राम पंचायत कोइलारी की अंतरा द्विवेदी, ग्राम पंचायत किरनताल कला की मीरा विश्वकर्मा, ग्राम पंचायत गहिरा टोला के शिव कुमार सिंह, ग्राम पंचायत करौंदी टोला के रोजगार सहायक विवेक उरमालिया, ग्राम पंचायत पिपरिया के संतोष रैदास, ग्राम पंचायत मुगमानी के रोजगार सहायक दीप नारायण चतुर्वेदी, ददरौंडी़ के रोजगार सहायक शंकर दाहिया सहित उपयंत्री राजेश त्रिपाठी पर भी बर्खास्तगी की गाज गिरी है। लेकिन विभाग द्वारा इन्हें अंतिम सुनवाई के लिए सात दिवस का अवसर दे दिया है।