नई दिल्ली। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने रविवार को सामूहिक समुद्री क्षमता के निर्माण की जरूरत पर जोर दिया ताकि समुद्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि किसी एक राष्ट्र के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय खतरों का मुकाबला करना असंभव है। इसलिए सामूहिक समुद्री क्षमता के निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए भारत ने कुछ तत्वों को प्राथमिकता दी है। नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारत एक मुक्त, अधिक खुले और तेजी से समावेशी हो रहे विश्व में वास्तविक योगदान देना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘आपसी सहयोग से सभी की समृद्धि, सुरक्षा और विकास हमारा प्रेरक आदर्श वाक्य है। समुद्र में सुरक्षा, सुरक्षा और स्थिरता पर ध्यान दिया जा रहा है। एडमिरल हरि कुमार ने विशाखापत्तनम में चल रहे मिलन-2022 के हिस्से के रूप में समुद्र केंद्रित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। संबोधन का विषय ‘‘सहयोग के माध्यम से सामूहिक समुद्री क्षमता का दोहन’’ था। नौसेना प्रमुख ने कहा कि वैश्विक कारोबार और समृद्धि की जीवनरेखा समुद्र हैं। यह भी कहा कि नौसेनाओं की जिम्मेदारी केवल अपने देश के कारोबार की सुरक्षा करने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नौसेनाओं को सामूहिक प्रहरी के रूप में काम करना चाहिए और समान विचारधारा वाली नौसेनाओं को वैश्विक संपदा के प्रबंधन में अपनी विशेषज्ञता, अनुभव और संसाधनों को साझा करना चाहिए। नेवी चीफ ने कहा कि भारत ने सामूहिक समुद्री क्षमता के निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कुछ तत्वों को प्राथमिकता दी है, जिसमें मित्र राष्ट्रों की नौसेनाओं की दक्षताओं का उपयोग करने को समर्थन देना शामिल है। सम्मेलन के पहले सत्र को भारत के राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक वाइस-एडमिरल (सेवानिवृत्त) जी अशोक कुमार, अमेरिका के एडमिरल सैमुअल जे पापारो, ऑस्ट्रेलिया के वाइस-एडमिरल माइकल नूनन, बांग्लादेश के कमोडोर शाहीन रहमान और जापान के एडमिरल वाई हिरोशी ने संबोधित किया।
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