नेताओं पर एफआईआर के 3 घंटे मे दो संगठनो ने की अलग होने की घोषणा
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आंदोलनकारी किसानों ने जिस तरह से दिल्ली में उपद्रव किया उसकी हर तरफ निंदा हो रही है। अभी खबर आ रही है कि दो बड़े किसान संगठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। किसान नेता वीएन सिंह और चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने धरना समाप्त करने की घोषणा की। वीएन सिंह ने यूपी गेट पर प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। वीएन सिंह गणतंत्र दिवस में जो कुछ भी हुआ उस घटना से बहुत आहत है। साथ ही उन्होंने कहा कि कल के गुनाहगारों को सख्त सजा मिले। वीएम सिंह ने कहा कि सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी। उन्होंने कहा, ‘हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं… आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।’ भारतीय किसान यूनियन (भानु) अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि मैं कल की घटना से इतना दुखी हूं कि इस समय मैं चिल्ला बॉर्डर से घोषणा करता हूं कि पिछले 58 दिनों से भारतीय किसान यूनियन (भानु) का जो धरना चल रहा था उसे खत्म करता हूं।
दिल्ली हिंसा केस पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड़ में हुई हिंसा की जांच के लिए एक आयोग के गठन का अनुरोध किया है। याचिका में हिंसा के लिए और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। कृषक संगठनों की केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था। अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में अभी तक 22 प्राथमिकियां दर्ज की हैं। हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिका में कि शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया जाए जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे तथा उसे रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे। तीन सदस्यीय इस आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा कि 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से चल रहा है और ट्रैक्टर परेड़ के दौरान इसने हिंसक रूप ले लिया। इसमें कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं। याचिका में कहा कि मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि जब किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से शांतिपूर्वक चल रह था, तो कैसे यह हिंसक अभियान में तब्दील हो गया और इससे 26 जनवरी को हिंसा हुई। राष्ट्रीय सुरक्षा और जन हित में यह प्रश्न विचारयोग्य है कि अशांति फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे और किसने किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक अभियान में तब्दील कर दिया या किसने और कैसे ऐसे हालात पैदा कर दिए कि प्रदर्शन हिंसक हो गया। इन दोनों ओर से आरोप लग रहे हैं इसलिए मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।