हांथी-बाघों को दूर रखेगी सोलर करंट

हांथी-बाघों को दूर रखेगी सोलर करंट

बांधवगढ़ नेशनल पार्क के सर्वाधिक प्रभावित आधा दर्जन गावों के लिये बनी योजना

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश
उमरिया
जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क अंतर्गत कोर क्षेत्र तथा उससे सटे गावों मे हिंसक जानवरों की मूवमेंट को देखते हुए प्रबंधन ग्रामीणो की सुरक्षा के कुछ नये इंतजाम करने जा रहा है। इसमे बाड़ को ऊंचा करने के सांथ उसमे करंट लगाने जैसे कार्य शामिल हैं। हलांकि यह करंट सोलर से पैदा बिजली के द्वारा दी जायेगी, ताकि जानवरों को किसी तरह का नुकसान न हो। राष्ट्रीय उद्यान के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि बांधवगढ़ के जंगल मे बाघों की घनी आबादी है। जिसके कारण कुछ वर्षो से इनके गावों मे प्रवेश करने की घटनायें बढ़ी हैं। विशेषकर 5-7 गावों मे यह समस्या कुछ ज्यादा है। लिहाजा स्थानीय लोग लगातार सुरक्षा के उपाय करने की मांग कर रहे हैं। जिसे देखते हुए इस तरह की पहल की जा रही है।

तीस किलोमीटर मे लगी है फेन्सिंग
उप संचालक श्री वर्मा ने बताया कि नेशनल पार्क मे बाघों से ग्रामीणो की रक्षा के लिये करीब 30 किलोमीटर फेन्सिंग पहले से ही लगी हुई है। जो कि करीब 10-12 साल पुरानी है। यह तब लगाई गई थी, जब यहां जंगली हांथी नहीं थे। बाड़ को ग्रामीणो ने कई जगह से तोड़ दिया है, जिससे बाघ आसानी से अंदर चले आते हैं। पहले चरण मे प्रबंधन बाड़ को चुस्त-दुरूस्त करने के सांथ इसकी ऊंचाई बढ़ाने पर विचार कर रहा है। उन्होने बताया कि जिस स्थान पर बाड़ लगी हुई है, यही क्षेत्र बांघ की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र है, वहीं इस स्थान पर कई बार हांथी भी विचरण करते हुए देखे गये हैं। अधिकारियों का मानना है कि बाड़ की ऊंचाई बढ़ाने और उसमे सोलर करंट प्रवाहित करने से बांघ और हाथियों का इंसानी बस्तियों मे प्रवेश रोका जा सकता है।

भोजन और शिकार की तलाश मे आते हैं जानवर
गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व मे हाथियों की आमद के बाद से यहां का वातावरण पूरी तरह बदल गया है। हांथी या बाघ दोनो ही जीव अपने भोजन की तलाश मे गावों का रूख करते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो बाघों का भोजन कहे जाते हिरण, चीतल आदि पशुओं को खेतों मे खड़ी हरी-भरी फसलें अपनी ओर आकर्शित करती है। इनका पीछा करते हुए बाघ, तेंदुए भी आबादी के नजदीक पहुंच जाते हैं। इसी दौरान शिकार मे खलल या खतरा भांपते ही वे सामने आये इंसान पर हमला कर बैठते हैं। जबकि हांथियों को महुआ फूल या उससे बनी शराब बेहद पसंद है। बीते कुछ महीनो मे इन दोनो प्रजातियों के गावों मे उत्पात मचाने की घटनाओं मे तेजी आई है।

ये क्षेत्र हैं ज्यादा प्रभावित
वैसे तो बांधवगढ़ के बाघ और हांथियों से जिले मे कहीं भी और कभी भी सामना हो सकता है, परंतु टाईगर रिजर्व के पनपथा, पतौर, धमोखर और मानपुर इनके सर्वाधित मूवमेंट वाले परिक्षेत्र माने जाते हैं। गावों की बात करें तो मजखेता, गाटा, दमना आदि गावों मे बाघों का कुछ ज्यादा ही दखल है। हिंसक जीवों से जहां लोगों तथा उनके पालतू पशुओं का जीवन संकट मे पड़ा रहता है, वहीं हांथी, चीतल, सुअर आदि खेतों मे खड़ी फसलें चौपट कर देते हैं। वर्ष 2023 मे उक्त स्थानो पर ही बाघों के हमलों मे कई ग्रामीणो की मौत हुई हैं। इन हादसों के बाद जिला प्रशासन और पार्क प्रबंधन को ग्रामीणो के रोष का सामना करना पड़ता है। अधिकारी भी चाहते हैं कि किसी तरह ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोका जाय। इसी के चलते उनके द्वारा विभिन्न तरह के उपाय किये जा रहे हैं।

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