हम कानून-व्यवस्था नहीं चला सकते:सुको

वकील बोले-मणिपुर मे मौतों का आंकड़ा बढ़ा, सरकार ने हिंसा रोकने का दिया था भरोसा

नई दिल्लीमणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के एडवोकेट कोलिन गोंजाल्वेज की दलील पर की। गोंजाल्वेज ने कहा कि सरकार ने पिछली सुनवाई में हिंसा रोकने का भरोसा दिया था। मई में 10 मौतें हुई थीं, संख्या 110 पहुंच गई।हालांकि सरकार की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर हिंसा में 142 लोगों की जान गई है। 5,995 केस दर्ज किए गए हैं।गोंजाल्वेज की दलील पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आपके अविश्वास के बावजूद हम राज्य की कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आप हमारे पास ठोस समाधान लेकर आइए। अदालत मंगलवार को भी इस मामले की सुनवाई करेगी।
मणिपुर सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मणिपुर सरकार की ओर से राज्य की स्टेटस रिपोर्ट पेश की। पिछली सुनवाई में अदालत ने उन्हें रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। SG मेहता ने कहा- हम यहां मणिपुर के लोगों के लिए मौजूद हैं। याचिकाकर्ताओं को बेहद संवेदनशीलता के साथ इस मामले को उठाना चाहिए, क्योंकि कोई भी गलत जानकारी राज्य के हालात को और बिगाड़ सकती है। राज्य और सरकार की कोशिशों के चलते स्थितियां सामान्य हो रही हैं।
अदालत ने रिपोर्ट वकीलों को सौंपी, कहा- ठोस सुझाव दीजिए
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर ट्राइबल फोरम के वकील गोंजाल्वेज को रिपोर्ट सौंपी और कहा- आप इस रिपोर्ट को एक बार पढ़िए। हमें ठोस सुझाव दीजिए। हम आपके सुझाव SG को देंगे। उन्हें भी विचार करने दीजिए।एडवोकेट गोंजाल्वेज ने कहा- मणिपुर में हर कोई कुकी समुदाय के खिलाफ है। इस पर CJI ने कहा- हम नहीं चाहते हैं कि इस अदालत का इस्तेमाल राज्य में जारी हिंसा को भड़काने या फिर मौजूदा समस्याओं को बढ़ाने के लिए किया जाए। हम सुरक्षा व्यवस्था या फिर कानून-व्यवस्था को नहीं चलाते हैं। अगर आपके पास कोई सुझाव है तो हमें बताइए। यह मानवीयता से जुड़ा मुद्दा है।राज्य में इंटरनेट बैन जारी रहेगा या नहीं, इस मामले में भी कल सुनवाई होगी। राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 3 मई को इंटरनेट बैन किया गया था। मणिपुर हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इंटरनेट बैन आंशिक तौर पर हटा दिया जाए। इसके जवाब में राज्य सरकार ने याचिका दाखिल की थी।
एक सवाल और 2 दलीलें
सवाल- सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से पूछा कि बड़ी संख्या में हथियार पुलिस स्टेशनों से चुराए गए थे। क्या एक्शन लिया गया है?
पहली दलील- एडवोकेट गोंज्लावेज ने कहा- UAPA के तहत जिन ग्रुप्स की पहचान की गई है, वो हथियार बंद समूह ही हिंसा को बढ़ा रहे हैं। ये केस इसी संबंध में है। इनका इस्तेमाल सरकार कर रही है। ये ग्रुप आदिवासियों के खिलाफ हैं।
दूसरी दलील- SG तुषार मेहता ने एडवोकेट गोंजाल्वेज के व्यवहार पर चिंता जाहिर की। उन्होंने अपील की कि गोंज्लावेज को इंटरव्यू देने और पब्लिकली इस केस पर चर्चा करने से बचना चाहिए।
1 पुलिसवाले की हत्या, 10 घायल
राज्य के कांगपोकपी इलाके में रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात से चल रही हिंसक झड़प में सोमवार सुबह एक पुलिसवाला मारा गया, जबकि 10 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि फायेंग और सिंगदा गांवों की तरफ से कांगचुप इलााके के गांवों की तरफ फायरिंग की गई थी। इन दोनों गांवों के बीच के इलाके में असम राइफल्स के जवान तैनात रहते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, संभावना है कि इस झड़प में दोनों तरफ के और भी लोग मारे गए होंगे।
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