विदेश मंत्री जयशंकर की दुनिया को दो टूक, कहा- हम अपनी शर्तों पर बात करेंगे
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को नई दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग में कहा कि भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से रिश्ते निभाएगा। इसमें भारत को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। जयशंकर ने कहा कि दुनिया को खुश रखने की जगह हमें इस आधार पर दुनिया से संबंध बनाने चाहिए कि हम कौन हैं। वह दौर बीत गया कि दुनिया हमारे बारे में बताए और हम दुनिया से इजाजत लें। विदेश मंत्री ने कहा कि अगले 25 सालों में भारत ग्लोबलाइजेशन का सेंटर होगा। जब हम 75 सालों को पीछे मुड़कर देखते हैं तो सिर्फ बीते हुए 75 साल नहीं देखते, बल्कि वो 25 साल भी देखते हैं जो आने वाले हैं। हमने क्या पाया और किस चीज में हम नाकाम रहे? एक चीज जो हम दुनिया को बताने में कामयाब रहे वो ये कि भारत लोकतांत्रिक देश है।
बातचीत की टेबल पर आयें दोनो देश
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एस जयशंकर ने कहा कि युद्ध रोकने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका यही है कि दोनों देश बातचीत की टेबल पर आ जाएं। रूस के साथ व्यापार को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि अपील जैसे आर्डर को अब एशिया में चुनौती मिलने लगी है।उन्होंने कहा कि रूस के साथ व्यापार को लेकर हमें यूरोप से सलाह मिली कि हम रूस के साथ और व्यापार न करें। कम से कम हम किसी को सलाह देने नहीं जाते।जयशंकर ने आगे कहा कि यूरोप ने पहले के वक्त में चीन की वजह से पैदा हुए खतरों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। यूरोप उस वक्त भी लापरवाही दिखा रहा था, जब बीजिंग एशिया को धमकी दे रहा था। इसके साथ ही उन्होंने चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां अभी तक सीमाएं तय नहीं है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एस जयशंकर ने कहा कि युद्ध रोकने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका यही है कि दोनों देश बातचीत की टेबल पर आ जाएं। रूस के साथ व्यापार को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि अपील जैसे आर्डर को अब एशिया में चुनौती मिलने लगी है।उन्होंने कहा कि रूस के साथ व्यापार को लेकर हमें यूरोप से सलाह मिली कि हम रूस के साथ और व्यापार न करें। कम से कम हम किसी को सलाह देने नहीं जाते।जयशंकर ने आगे कहा कि यूरोप ने पहले के वक्त में चीन की वजह से पैदा हुए खतरों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। यूरोप उस वक्त भी लापरवाही दिखा रहा था, जब बीजिंग एशिया को धमकी दे रहा था। इसके साथ ही उन्होंने चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां अभी तक सीमाएं तय नहीं है।
क्या है रायसीना डायलॉग?
दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का एक मंच है जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा के उद्देश्य से रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गई। इसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी।जिसके बाद से हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले देशों और लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का यह प्रमुख सम्मेलन है। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किया जाता है।
दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का एक मंच है जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा के उद्देश्य से रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गई। इसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी।जिसके बाद से हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले देशों और लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का यह प्रमुख सम्मेलन है। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किया जाता है।
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