साउथ चाइना सी की निगरानी में भी कारगर
सिंधु नेत्र सैटेलाइट साउथ चाइना सी, अदन की खाड़ी और अफ्रीकी तट के पास समुद्री लुटेरे प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी करने में भी मदद करने में भी कारगर हो सकता है। यह पहला सैटेलाइट है, जो चीन के साथ लद्दाख रीजन और पाकिस्तान के बॉर्डर रीजन में भी अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा। सिंधु नेत्र चीन बॉर्डर से लगे 4 हजार किलोमीटर के LAC और भारतीय सीमा की निगरानी में भी मदद करेगा।
सेना ने की थी डेडिकेटेड सैटेलाइट की मांग
सेना ने चीन के साथ लद्दाख में हुए सीमा विवाद और पाकिस्तानी घुसपैठियों की कमर तोड़ने के लिए चार से छह डेडिकेटेड सैटेलाइट की मांग की थी। सेना ने अगस्त 2020 में बताया था कि भारतीय बॉर्डर की सुरक्षा के लिए हमें हाई रिजॉल्यूशन वाले सेंसर और कैमरे की जरूरत है। इससे चीन पर नजर रखने के साथ-साथ विदेशों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। सेना ने यह भी कहा था कि हमें अपने पुराने सैटेलाइट को भी अपडेट करने की जरूरत है।
लद्दाख में चीन की हरकतों ने बढ़ाई मांग
सैटेलाइट्स की जरूरत तब महसूस की गई, जब चीनी सेना ने एलएसी के करीब शिन्जियांग क्षेत्र में अभ्यास की आड़ में भारी हथियारों और तोपखाने के साथ 40,000 से अधिक सैनिक जुटाए और उन्हें भारतीय क्षेत्र की ओर ले जाना शुरू किया। कई स्थानों पर चीन ने निर्माण भी किए। पिछले साल मई-जून महीने में चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी। तब कई दौर की कोर कमांडर लेवल पर फ्लैग मीटिंग हुई थी। हालांकि, तनाव तब और बढ़ गया जब 15-30 जून के बीच दोनों पक्षों में गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना में चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। हाल ही में दोनों देशों के बीच डिसएंगेजमेंट प्रॉसेस शुरू होने के बाद चीन ने कबूला था कि उसके पांच जवान गलवान हिंसा में मारे गए थे।