स्नाइपर राइफलों से लैंस हुई भारतीय सेना

जवानों की बढ़ेगी ताकत, निशाना सटीक और घातक

नई दिल्ली। देश के दुश्मन से मुकाबला करने के लिए जम्मू-कश्मीर के नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात भारतीय सेना पहले से कहीं और ज्यादा मजबूत हो गई है। एलओसी में तैनात सैनिकों को फिनलैंड से आई नवीनतम स्नाइपर राइफलें दी गईं हैं। सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नवीनतम स्नाइपर राइफल्स को सेना में शामिल किया गया है। वे अब इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ये साको.338 टीआरजी-42 स्नाइपर राइफलें हैं।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि साको .338 टीआरजी-42 स्नाइपर राइफल्स की बेहतर रेंज मारक क्षमता और टेलीस्कोपिक हैं।

किया जा रहा प्रशिक्षित

उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर स्नाइपर्स को नई राइफलों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि यह कदम नियंत्रण रेखा पर परिचालन की गतिशीलता में बदलाव के बीच स्नाइपर्स को और अधिक घातक बनाने के लिए है। साथ ही कहा कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के साथ आगे के इलाकों में गश्त कर रहे सैनिकों के लिए स्निपिंग एक बड़ी चुनौती रही है।
बात दें कि 2018 और 2019 के बीच एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही घटनाओं की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। जिससे सशस्त्र बलों को बेहतर स्नाइपर राइफलों को शामिल करने और इस तरह के हमलों के खिलाफ अपने स्नाइपर्स को प्रशिक्षित करने के लिए प्रेरित किया गया है।

भरोसेमंद हथियार
साको टीआरजी-42 स्नाइपर राइफल एक बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है, जिसे फिनिश बंदूक निर्माता साको द्वारा डिजाइन और विकसित किया है। राइफल को शक्तिशाली .338 लापुआ मैग्नम आकार के कारतूसों को फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकारी ने कहा कि बिना गोला-बारूद के 6.55 किलोग्राम वजनी स्नाइपर राइफल की प्रभावी रेंज 1,500 मीटर है। यह राइफल दुनियाभर में सबसे सटीक और भरोसेमंद हथियारों में से एक माना जाती है।

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