एग्जाम रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं भी खारिज
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और ICSE की परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। साथ ही छात्रों के परीक्षा पैटर्न का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड की ओर से लाई गई इवैल्यूएशन स्कीम को आगे बढ़ाने की भी अनुमति दे दी है। जस्टिस ए. एम. खानविल्कर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने बुधवार को CBSE कंपार्टमेंट, प्राइवेट एग्जाम रद्द करने की मांग वाली 1152 छात्रों की याचिका पर भी सुनवाई की। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि स्टेट और सेंट्रल बोर्ड को एक ही नियमों में नहीं बांधा जा सकता। हर बोर्ड के अपने नियम कायदे हैं और वे अपने हिसाब से असेसमेंट पॉलिसी तय करने का अधिकार रखते हैं। इसके साथ ही कोरोना महामारी में स्टूडेंट्स को सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी है। इसलिए एग्जाम नहीं करवाया जा सकता। बेंच ने छात्रों को मूल्यांकन स्कीम या परीक्षा में बैठने में से किसी एक विकल्प को चुनने की मांग को ठुकरा दिया। इसके साथ ही 12वीं के फिजिकल एग्जाम जुलाई में ही आयोजित कराने से भी कोर्ट ने इनकार कर दिया। कोर्ट ने इवैल्यूएशन स्कीम में स्कूलों द्वारा धांधली की आशंका के आरोप पर भी किसी तरह का आदेश देने से मना कर दिया। बेंच को बताया गया कि इसके लिए बाकायदा एक रिजल्ट कमेटी बनाई गई है। कमेटी में स्कूल के अलावा बाहरी सदस्य शामिल होंगे।
स्टूडेंट्स को मूल्यांकन के फॉर्मूले पर आपत्ति
स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अब कोरोना संक्रमण के मामले कम हो गए हैं। ऐसे में फिजिकल एग्जाम कराए जाने चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि एक सीनियर मैथ्स टीचर भी ICSE और CBSE के मूल्यांकन के तैयार फॉर्मूले को नहीं समझ पा रहे हैं, तो स्टूडेंट्स कैसे समझेंगे।
स्टूडेंट्स और पेरेंट्स की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अब कोरोना संक्रमण के मामले कम हो गए हैं। ऐसे में फिजिकल एग्जाम कराए जाने चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि एक सीनियर मैथ्स टीचर भी ICSE और CBSE के मूल्यांकन के तैयार फॉर्मूले को नहीं समझ पा रहे हैं, तो स्टूडेंट्स कैसे समझेंगे।
15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच होंगे CBSE एग्जाम
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दोनों ही केंद्रीय बोर्ड के 12वीं के मूल्यांकन मानदंड में समानता होनी चाहिए। साथ ही रिजल्ट की घोषणा भी एक साथ करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने दोनों बोर्ड द्वारा पेश किए गए क्राइटेरिया को स्वीकार कर लिया है। सुनवाई के दौरान बोर्ड ने बताया कि 31 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। साथ ही अगर हालात सामान्य हुए तो एग्जाम 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कराए जा सकते हैं। ऑप्शनल एग्जाम में मिले अंकों को ही फाइनल माना जाएगा।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दोनों ही केंद्रीय बोर्ड के 12वीं के मूल्यांकन मानदंड में समानता होनी चाहिए। साथ ही रिजल्ट की घोषणा भी एक साथ करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने दोनों बोर्ड द्वारा पेश किए गए क्राइटेरिया को स्वीकार कर लिया है। सुनवाई के दौरान बोर्ड ने बताया कि 31 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। साथ ही अगर हालात सामान्य हुए तो एग्जाम 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कराए जा सकते हैं। ऑप्शनल एग्जाम में मिले अंकों को ही फाइनल माना जाएगा।
CBSE का फॉर्मूला
10वीं के 5 सब्जेक्ट में से जिन 3 में छात्र ने सबसे ज्यादा स्कोर किया होगा, उन्हीं को रिजल्ट तैयार करने के लिए चुना जाएगा।
11वीं के पांचों विषयों और 12वीं कक्षा के यूनिट, टर्म या प्रैक्टिकल में प्राप्त अंकों को रिजल्ट का आधार बनाया जाएगा। 10वीं और 11वीं के नंबर को 30-30% और 12वीं के नंबर को 40% वेटेज दिया जाएगा। जो बच्चे परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए हालात सामान्य होने पर अलग परीक्षा की व्यवस्था की जाएगी। सरकार का तर्क- एक्सपर्ट्स कमेटी के साथ डिजाइन किया फॉर्मूला
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि 1929 से CBSE अपनी सेवाएं दे रही है। इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इस फॉर्मूले को हमने एक्सपर्ट्स कमेटी के साथ डिजाइन किया है। 10वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम और सब्जेक्ट 11वीं और 12वीं से अलग होते हैं, इसलिए हमने पिछले 3 साल 10वीं, 11वीं और 12वीं को आधार बनाया है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि 1929 से CBSE अपनी सेवाएं दे रही है। इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इस फॉर्मूले को हमने एक्सपर्ट्स कमेटी के साथ डिजाइन किया है। 10वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम और सब्जेक्ट 11वीं और 12वीं से अलग होते हैं, इसलिए हमने पिछले 3 साल 10वीं, 11वीं और 12वीं को आधार बनाया है।
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