सावन सोमवार, भोले की जयकार

सावन सोमवार, भोले की जयकार
घरों और मंदिरों मे हुआ भूतभावन का अभिषेक, महिलाओं ने रखा व्रत
उमरिया। सावन मास के पहले सोमवार पर जिले भर के शिवालयों मे श्रृद्धा का सैलाब उमड़ा। लोग ऊषाकाल मे स्नान इत्यादि कर पूजा की थाल सजाए नंगे पांव मंदिरों की ओर चले जा रहे थे। इस मौके पर व्रतधारी महिलाओं मे अपार श्रृद्धा और उत्साह देखने को मिल रहा था। पट खुलने पर भगवान त्रिनेत्र का विधि विधान से जल एवं दुग्धाभिषेक किया गया। शिवलिंगों और पिण्डियों पर चंदन लगाकर वेल्व पत्र, पुष्प, श्रीफल एवं नैवेद्य अर्पित किए गए। महाकाल की सामूहिक आरती की गयी और शिव चालीसा का पाठ किया गया। इस मौके पर व्रतधारी महिलाओं ने पति-पुत्रादि के दीर्घायु एवं सुख-शांति की प्रार्थना की।
भक्तों के लाडले उमरेश्वर और सागरेश्वर महाराज
इस पावन अवसर पर शहर के बहराधाम मे विराजे उमरेश्वर महाराज, सगराधाम के सागरेश्वर नाथ और मढ़ीवाह के शिव मंदिरों मे पहुंच कर भक्तों ने हाजिरी लगाई। ये तीनो स्थान श्रद्वालुओं को अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता है कि यहां पहुंच कर निर्मल मन से की गई कोई भी प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती। शिवरात्रि पर उमरेश्वर और सागरेश्वर भगवान की विशेष सजावट की गई थी। भक्त भी अपने लाडले प्रभु की एक झलक पाने को बेताब नजर आये।
शिव को प्रिय श्रावण मास
रूद्र संहिता मे भगवान शिव ने कहा है कि मासों मे श्रावण उन्हे सबसे प्रिय है। पुराण कहते हैं कि यह मास फलदायक होता है जो लोग निष्काम भाव से भगवान नीलकंठ और माता पार्वती का व्रत करते है वे पुनरावृति से रहित दुर्लभ लोक को प्राप्त होते है। कल श्रावण के पहले सोमवार को सावन मास की शुरूआत सोमवार का अतिशुभ योग रहा। प्रथम दर्शन के लिए श्रृद्धालू सूर्योदय के पूर्व ही मंदिर पहुंच चुके थे और जैसे ही अधीर आंखों को शिव के दर्शन हुए शिवालय महाकाल के जयघोष से गुंजायमान हो उठे। भक्तों ने विविध विधानों से भगवान अभयंकर की पूजा अर्चना की, महाआरती हुई, अनुष्ठान किए गए। आज के दिन देवता भी भोलेनाथ की विशेष आराधना करते है, असीम भक्ति, श्रृद्धा और समर्पण से ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों तीनों लोक शिवमय हो गए हों।
कोरोना का असर
कोरोना महामारी के कारण सावन के पहले सोमवार का रंग थोड़ा फीका रहा। लोगों ने सादगी और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की। कई श्रद्धालुओं ने मंदिरों की बजाय अपने घरों मे भोलेनाथ की आराधना की।

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