सरकार वार्ता को तैयार, किसान बोले करो इंतजार

अब रोज 11 किसान 24 घंटे का उपवास रखेंगे
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार और किसानों के बीच टकराव कम होने के संकेत मिले हैं। सरकार की ओर से किसानों को चिट्ठी लिखकर पूछा गया है कि वे अगले दौर की वार्ता कब करना चाहते हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान संगठन के अध्यक्ष दर्शन पाल को चिट्ठी लिखकर वार्ता की तारीख पूछी है। इस चिट्ठी पर किसान संगठन विचार कर रहे हैं। इस बारे में मंगलवार सुबह किसान संगठनों की अहम बैठक होगी। सरकार लगातार संकेत दे रही है कि वह किसानों की आपत्ति को सुनने और निराकरण करने के लिए तैयार है। वहीं किसान इस जिद्द पर अड़े हैं कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं। इस बीच, किसान संगठनों ने अपने प्रदर्शन को धार देने के लिए नया शेड्यूल जारी कर दिया है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के तहत सोमवार से किसानों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां 11-11 किसान भूख हड़ताल पर बैठे हैं। 24 घंटे बाद 11 दूसरे किसान इस सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे। वहीं, हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल फ्री किए जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को समर्थन देने वाले किसान संगठनों से मुलाकात करेंगे। हम उनसे जानेंगे कि उन्हें नए कृषि कानूनों में क्या फायदा नजर आ रहा है, साथ ही पूछेंगे कि अपनी फसलें बेचने के लिए कौन सी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाईवे पर लगाए  टेंट
कृषि कानूनों के विरोध में किसान हरियाणा बॉर्डर पर अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा में भी प्रदर्शन कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर की तरह हरियाणा बॉर्डर का आंदोलन भी फैलने लगा हैं। एक-दो टेंट से शुरू हुआ आंदोलन अब हाइवे पर सवा किलोमीटर की लंबाई कवर कर चुका है। किसान हर दिन 100 से 125 मीटर हाइवे को घेर रहे हैं। शाहजहांपुर-खेड़ा में हरियाणा बॉर्डर पर नेशनल हाइवे पर 12 दिसंबर से किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। अभी 9 दिन ही गुजरे हैं, लेकिन आंदोलन की तस्वीर बदल गई है। पहले चूल्हा लगाकर रोटियां बनाई जाती थीं, अब रोटी बनाने की मशीन आ चुकी है। पहले चूल्हे पर ही गर्म पानी होता था, अब पानी गर्म करने की मशीनें लग चुकी हैं।

आसपास के गांव वाले भी शामिल हो रहे
किसानों को लगातार 4 डिग्री तापमान में सड़कों पर खुले आसमान के नीचे आंदोलन करता देख आसपास के किसानों का दिल भी पसीजने लगा है। नजदीकी गांवों के किसान भी एक-एक दो-दो रात आंदोलन में आकर रुकने लगे हैं। वे थोड़ा-बहुत सहयोग भी देने लगे हैं। कड़कड़ाती सर्दी में आंदोलन पर बैठे किसानों को परेशानी न हो, इसलिए यहां अलाव के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली में लकडिय़ां लाई जा रही हैं। पिकअप भरकर फल-सब्जियां भी आने लगी हैं।

सवा किलोमीटर से ज्यादा लंबा प्रदर्शन
दिल्ली की तरफ जाने वाले हाइवे पर करीब सवा किलोमीटर तक टेंट ही टेंट नजर आने लगे हैं। कहीं किसान हुक्का पीते नजर आते हैं तो कहीं आपस में टोली बनाकर चर्चा करते दिखते हैं। किसान नेता आमजन को संबोधित करके आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, तैयारी से साफ जाहिर है कि किसान यहां भी लंबे वक्त तक आंदोलन की तैयारी से आए हैं।

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