उधर किसानों का आम लोगों के लिए माफीनामा- हक के लिए धरना, मजबूरी समझें
नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों को अब दो हफ्ते से अधिक हो गया है। सोमवार को किसानों ने भूख हड़ताल कर विरोध दर्ज कराया। उधर, सरकार ने बिल वापस नहीं लेने की रणनीति तैयार कर ली है। इसके तहत सभी प्रदेशों से किसान संगठनों को दिल्ली बुलाकर मुलाकात की जा रही है और आंदोलनकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि किसान बिल के समर्थन में हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के इस कदम ने आंदोलन में घी डालने का काम किया है।
उधर, बारिश और कोहरे के बीच देशभर से किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं। राजस्थान से किसान हजारों गायों को आगे करके दिल्ली कुच कर चुके हैं। किसान और सरकार दोनों जिद पर अड़े हुए हैं। जिससे आंदोलन और कानूनों को लेकर असमंजस बना हुआ है। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह लगातार एक-दूसरे के खिलाफ बयान देकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा रहे हैं।
सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि एग्रीकल्चर एक अहम सेक्टर है, इसमें विपरीत फैसले लेने का सवाल ही नहीं उठता। मौजूदा सुधार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। हम किसान भाइयों की बात सुनने और उनकी शंकाएं दूर करने के लिए हमेशा तैयार हैं। उनसे बातचीत के दरवाजे हमेशा खुले हैं। उन्होंने कहा कि बिल किसानों के हित में है इसलिए वापस नहीं होगा।
किसानों को मनाने के लिए अमित शाह सक्रिय
किसान आंदोलन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह सक्रिय हो गए हैं। अभी तक शाह की किसानों के साथ एक ही बैठक हुई है, लेकिन अब हर मुद्दा वे खुद देख रहे हैं। इसे लेकर 3 दिन में शाह 5 से ज्यादा बैठकें कर चुके हैं। सरकार हर राज्य के किसानों के लिए अलग स्ट्रैटजी बना रही है।किसानों को मनाने और आंदोलन खत्म कराने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अलग-अलग राज्यों और यूनियनों की जिम्मेदारी दी गई है। ये दोनों सभी से अलग-अलग बात करेंगे। लेकिन, पंजाब के किसान नेताओं की जिम्मेदारी अमित शाह ने अपने पास रखी है।
अन्नदाता की आड़ में हो रही राजनीति: तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ बातचीत की अगली तारीख तय करने में संलग्न है और मुलाकात जरूर होगी। अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार से आए थे। उन्होंने फार्म बिल का समर्थन किया और हमें उसी पर एक पत्र दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ऐसा किया है और वे इसका स्वागत और समर्थन करते हैं। तोमर ने आगे कहा कि हमने कहा है कि हम वार्ता के लिए तैयार हैं। यदि उनका (किसान यूनियनों का) प्रस्ताव आता है, तो सरकार निश्चित रूप से यह करेगी। हम चाहते हैं कि चर्चा को खंड द्वारा आयोजित किया जाए। वे हमारे प्रस्ताव पर अपनी राय देंगे, हम निश्चित रूप से आगे की बातचीत करेंगे।
सरकार बोली….बिल वापस नहीं होगा
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