सरकार नहीं करती अदालत के फैसले का सम्मान

ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट और नियुक्तियों में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट की मोदी सरकार को फटकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट और नियुक्तियों में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगा दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि केंद्र को अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। फिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई को अगले हफ्ते (सोमवार) तक के लिए टाल दिया है। साथ ही अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है। कहा है कि हमें उम्मीद है कि केंद्र नियुक्तियों के आदेश जारी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र ने नियुक्तियां नहीं की,तब अदालत आदेश जारी करेगी।
केंद्र ले रहा कोर्ट के धैर्य की परीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी पूछा था कि आपने (केंद्र) ट्रिब्यूनलों में कितनी नियुक्तियां की हैं। हमें बताइए कि कितनी नियुक्तियां हुई हैं। केंद्र को फटकार लगाकर चीफ जस्टिस ने कहा कि लगता है कि केंद्र को अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है। केंद्र कोर्ट के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। चीफ जस्टिस ने जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की तारीफ भी की। पिछले ही दिनों ९ जजों ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली है।लेकिन कोर्ट ने ट्रिब्यूनल्स के लिए सदस्यों की नियुक्ति में हो रही देरी पर चिंता जाहिर कर इसका कारण पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देरी समझ से परे है। कोर्ट ने कहा कि एनसीएलटी में पद खाली हैं।
खुद ही ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके पास तीन ऑप्शन हैं। पहला कि ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट २०२१ कानून पर रोक लगा दें। दूसरा कि ट्रिब्यूनलों को बंद कर दें। तीसरा कि सुप्रीम कोर्ट खुद ही ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें। साथ ही कहा कि ऐसा करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरू करने पर भी विचार कर सकता है। जस्टिस नागेश्वर रॉव ने कहा कि हम जिन ट्रिब्यूनलों की सिफारिशों के बारे में बात कर रहे हैं, वे इस सुधार विधेयक के अस्तित्व में आने से २ साल पहले भेज थे। लेकिन अबतक नियुक्ति नहीं हुई। वहीं जस्टिस डीवीई चंद्रचूड ने कहा कि मेरे पास आईबीसी के बहुत मामले आ रहे हैं जो कि कॉरपोरेट के लिए बहुत जरूरी है। एनसीएलएटी और एनसीएलटी में नियुक्तियां नहीं हुई हैं,इसकारण केसों की सुनवाई नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा कि सश बलों के ट्रिब्यूनलों में भी पद खाली हैं,इसकारण सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास आ रही हैं। कहा गया कि केंद्र सदस्यों की नियुक्ति न करके ट्रिब्यूनल को कमजोर कर रहा है।
नीट-यूजी को टालने से इनकार
देश की शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) को टालने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि वह प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता और इसकी तारीख में बदलाव करना ‘अनुचित होगा। नीट-यूजी १२ सितंबर को होनी है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यदि छात्र कई परीक्षाओं में बैठना चाहते हैं तो उन्हें प्राथमिकता तय करनी होगी और अपना विकल्प चुनना होगा क्योंकि ऐसी स्थिति तो कभी नहीं हो सकती जिसमें परीक्षा की तारीख से हर कोई संतुष्ट हो।

 

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