सरकार की घोषणा से खिली माफियाओं की बाछें

जिले मे भी गरमाया मुद्दा, अवैध कॉलोनियों से व्यवस्था पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव
बांधवभूमि, उमरिया
चुनावी साल मे घोषणाओं की बारिश कोई नई बात नहीं है। इस सीजन मे हर सरकार जनता को खुश करने के लिये अपने तरीके से लोक लुभावन नीतियां लेकर आती है, ताकि उसका फायदा हो, पंरतु इससे आने वाले समय मे कई गंभीर समस्यायें पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी ही एक घोषणा अवैद्य कालोनियों को वैद्य करने की है, जो हाल ही मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई है। जिसके मुताबिक अब 31 दिसंबर 2022 तक की सभी अवैध कॉलोनियों को वैध कर दिया जायेगा है। इससे पहले इस योजना मे 31 दिसम्बर 2016 तक की अवैध कॉलोनियों को लिया जाना था। सरकार की इस घोषणा से उन माफियाओं की बाछें खिल गई हैं, जिन्होने जिले मे बिना नियम के पालन और जनता की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखे मनमाने तौर पर प्लाट काट कर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को थमा दिया है।
जनता को राहत, धूर्तो की बल्ले-बल्ले
हलांकि इस योजना से अपने खून-पसीने की कमाई से पाई-पाई जोड़ कर किसी कदर आशियाना बनाने वाले तथा सरकारी कार्यवाही के डर का तनाव झेल रहे परिवारों को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन करोड़ों का वारा-न्यारा करने वाले सभी धूर्त भूमाफिया पूरी तरह से बरी हो जायेंगे। उल्लेखनीय है कि उमरिया जिले मे भी कई अवैध कालोनियां है। बीते दिनो कलेक्टर डॉ. केडी त्रिपाठी द्वारा समस्त एसडीएम को इनका चिन्हांकन, जांच और कार्यवाही के निर्देश दिये गये थे।
मुफ्त मे बन गया धांधलीबाजों का काम
जिले मे वैध कॉलोनी बनाने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें इस प्रक्रिया के लिये ढेर सारी अनुमतियों के साथ वर्षो मेहनत करनी पड़ी है। इसमे लाखों रुपए खर्च भी हुए हैं। दूसरी तरफ अवैध कॉलोनी काटने वालों ने न तो किसी तरह की अनुमति ली और ना ही मंजूरी के लिए उन्हे एक पैसा भी खर्च करना पड़ा। इन भू-माफियाओं ने पहले ताबड़तोड प्लाटिंग कर औने-पौने दामो मे खरीदी हुई जमीने करोड़ों मे बेंची, फिर जनता को सामने कर दिया। जिससे उनका सारा काम मुफ्त मे ही बन गया। इस मामले मे अदालतों के सांथ ही रेरा जैसी नियामक संस्थाओं का भी कड़ा रूख रहा है। सरकार के फैसले ने नियम-कानून और इनके उद्देश्यों को मिट्टी मे मिला दिया है।
बढ़ेंगे अवैध प्लाटिंग करने वालों के हौंसले
जानकारों का मानना है कि रेरा तथा टाऊन एण्ड कण्ट्री प्लानिंग के दिशा-निर्देश शहर के व्यवसायिक और रिहायशी क्षेत्रों के व्यवस्थित विकास के लिये बनाये गये हैं। कुछ दिन पहले तक इसे लेकर सरकार काफी कठोर रही है। मुख्यमंत्री खुद भी अपनी सभाओं मे अवैध तरीके से प्लाट काटने वालों को जेल भेजने की चेतावनी दे रहे है। पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने जिले मे कई लोगों के विरूद्ध कार्यवाही भी की थी, लेकिन इस घोषणा के बाद यह सारी कार्यवाही ठंडे बस्ते मे डाल दी जायेगी। जिसे वैद्य कालोनाईजर हतोत्साहित होंगे। वहीं अवैध कालोनी काटने वालों के हौंसले बुलंद होंगे।
छोडऩी पड़ती है आधी से ज्यादा जमीन
नियमो के अनुसार किसी भी कालोनी को डेवलप करने के लिये सभी सुविधाओं का इंतजाम जरूरी है। वैद्य कालोनी मे जहां सड़क की चौड़ाई कम से कम 9.9 मीटर चौड़ी होनी चाहिये। गार्डन, ख्ेाल मैदान इत्यादि भी अनिवार्य है। जिसमे कालोनाईजर की करीब 50 प्रतिशत जमीन चली जाती है। यदि उमरिया की बात करें तो यहां की अवैध कालोनियों मे पर भी गार्डन और खुला क्षेत्र तो दूर 5 मीटर से ज्यादा सड़क तक नहीं है।

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