महिमार मे युवक ने लगाई फांसी, कोरोना के बाद खुदकुशी के मामलों मे आई तेजी
उमरिया। जिले मे कोरोना संक्रमण के बाद खुदकुशी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हालत यह है कि आये दिन आत्महत्या का कोई न कोई नया मामला जरूर सामने आ रहा है। कल जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम महिमार मे एक नाबालिग किशोर ने पेड़ पर लटक कर अपनी जान दे दी। मृतक का नाम मनीष तिवारी पिता रामायण तिवारी 16 निवासी ग्राम महिमार बताया गया है। मनीष नौवीं कक्षा की परीक्षा देकर सोमवार की शाम लौटा था। रात मे वह जानवरों के लिये पैरा लाने की बात कह कर अपने घर से निकला था। देर रात तक जब वह वापस नहीं लौटा तो परिजनो को चिंता हुई और वे बालक को खोजते हुए खेत पहुंचे। जहां उसका शव एक पेड़ पर लटकता पाया गया। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। मंगलवार की सुबह पीएम आदि कार्यवाही के बाद शव परिजनो को सौंप दिया गया है। इस मामले मे मर्ग कायम कर विवेचना शुरू की गई है। युवक ने यह कदम क्यों उठाया, इस संबंध मे अभी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
एक मांह, आधा दर्जन मौतें
खुदकुशी के मामलों मे आ रही तेजी समाज के लिये चिंता का विषय है। विगत जनवरी महीने मे ही ऐसे कई केस हुए हैं। मरने वालों मे प्रौढ़, जवान, किशोर, महिलायें और युवतियां शामिल हैं। विगत एक मांह के दौरान जिला मुख्यालय और आसपास के क्षेत्रों मे लगभग आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने विभिन्न कारणों से मौत को गले लगा लिया है।
आर्थिक तंगी से उपजती अशांति
आत्महत्या के अधिकांश मामलों के पीछे आर्थिक तंगी भी बड़ा कारण माना जा रहा है। कोरोना से जूझने के सांथ ही लोगों को महंगाई और आय मे कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बेरोजगार युवा और उनके अभिभावक बेहद परेशान हैं। इनकी वजह से जहां परिवारों मे कलह बढ़ी है, वहीं नौकरी आदि नहीं मिलने ये युवक अपराध की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
ये हैं मनोरोगियों के लक्षण
मनोविज्ञान के जानकारों का मानना है कि आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है, जो तनाव की ही एक स्थिति है। इसकी शुरूआत असफलता और आत्मविश्वास की कमी से उपजी नकारात्मक सोच से होती है। धीरे-धीरे यह मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है। मानसिक रोगी चिड़चिड़ा होने के सांथ ही एकाकी रहना पसंद करता है, जिससे समस्या और भी गंभीर होने लगती है। इन लक्षणों को पहचानते हुए रोगी को तत्काल किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिये। ऐसे लोगों को परिजनो के सहयोग की भी ज्यादा दरकार होती है। सांथ ही उन्हे अकेले छोडऩा खतरनाक हो सकता है।
समाज मे बढ़ रहा अवसाद और कलह
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