संयंत्र मे महज 60 प्रतिशत उत्पादन

संगांतावि केन्द्र की यूनिटों मे आई खराबी से कम्पनी को रोजाना लाखों का नुकसान
बांधवभूमि, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर। तहसील क्षेत्र मे स्थापित संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की इकाईयों मे लगातार आ रही खराबी के कारण जहां कम्पनी को रोजाना लाखों रूपये की चपत लग रही है, वहीं इसकी वजह से जिले के सांथ प्रदेश मे भी बिजली का संकट गहरा सकता है। हालत यह है कि 1340 मेगावाट उत्पादन वाले इस प्लांट मे इन दिनो महज 800 मेगवाट बिजली बन पा रही है, जो कि क्षमता का 60 प्रतिशत है। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान मे संयंत्र की एक इकाई बीते करीब 10 दिनो से बंद है वहीं शेष 4 यूनिट मे बेहद कम उत्पादन हो रहा है। उल्लेखनीय है थर्मल पावर प्लांट मे 500 मेगावाट की एक तथा 210 क्षमता वाली 4 इकाईयां स्थापित हैं।
निजी कम्पनियों के इशारे पर गड़बड़ी
गौरतलब है कि संजय गांधी ताप विद्युत गृह आये दिन इकाईयों के ठप्प होने, दुर्घटनाओं तथा मरम्मत पर करोड़ों रूपये खर्च करने के कारण देश भर मे मशहूर है। बीते कुछ वर्षो से सब कुछ ठीक होने के बावजूद बिजली का उत्पादन कम करने की खबरें सुर्खियों मे है। सवाल उठता है कि जब सरकार को प्रदेश की आपूर्ति निर्बाद्ध रखने के लिये बाहर से बिजली खरीदनी पड़ रही है, फिर अपने प्लांटों मे उत्पादन कम क्यों किया जाता है। जानकारों का दावा है कि रिलायंस और अडानी पावर से बिजली की खरीद जारी रखने के लिये बीच-बीच मे सरकारी संयंत्रों को उत्पादन घटाने का इशारा किया जाता है। इससे उद्योगपतियों की तो पौबारह है पर संजय गांधी ताप विद्युत गृह जैसे संयंत्रों का भ_ा बैठा जा रहा है।
लापरवाही और भ्रष्टाचार
मंगठार सयंत्र मे इकाईयों के नियमित रखरखाव पर करोड़ों रूपये खर्च किये जाने के बावजूद ब्रेकडाउन की समस्या बनी हुई है। इसका प्रमुख कारण प्रबंधन की लापरवाही और भारी भ्रष्टाचार है। वर्तमान अप्रेल के महीने मे ही प्लांट की पांचों यूनिटें किसी न किसी कारण से बंद हुई हैं। ये सभी वार्षिक रखरखाव से गुजर चुकी हैं। मेंटीनेन्स मे हुई गड़बड़ी और गुणवत्ताहीन कार्य की वजह से यह स्थिति निर्मित हो रही है। इसे लेकर कई शिकायतें हुई। जिसकी जांच करने टीमें भी पहुंची पर नतीजा निल बटे सन्नाटा रहा।

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