श्रीराम को पाकर द्रवित हुए अयोध्यावासी
गांधी चौक मे हुआ भरत मिलाप, राज्याभिषेक के सांथ रामलीला का समापन
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय के उपरांत प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी का अयोध्या आगमन हो रहा है, यह सुन कर प्रजा की खुशी का ठिकाना न रहा। उत्साहित नर-नारी नगर के प्रवेश द्वार पर पहुंच गये। कुछ ही देर मे भगवान का आगमन हुआ, उन्हे पाकर राज्यवासी द्रवित हो उठे। चहुं ओर जयश्री राम का उदघोष होने लगा। श्री रघुराज मानस कला मंदिर द्वारा बहराधाम मे आयोजित रामलीला का समापन गुरू वशिष्ठ जी द्वारा मर्यादा पुरूषोत्तम के राज्याभिषेक के सांथ हुआ। इससे पूर्व स्टेशन रोड पर पूजा-अर्चना के उपरांत विमान पर सवार हो कर भगवान गांधी चौक पधारे, जहां उनका भरत से मिलाप हुआ। कार्यक्रम में श्री रघुराज मानस कला मंदिर के अध्यक्ष, पूर्व विधायक अजय सिंह, अमर सिंह, राजेश शर्मा, ध्रुव सिंह, अमृतलाल यादव, निरंजन सिंह, मेहंदी हसन, रघुनाथ सोनी, मिथलेश राय, राजीव सिंह, शिशुपाल यादव, ताजेन्द्र सिंह, शेख शाहरुख, संजय गुप्ता, गोपाल खंडेलवाल, संदीप शाहा, ताराचंद राजपूत, माधव हेमनानी, हजारी सोनी, कल्लू गुप्ता समेत बड़ी संख्या में व्यापारी बंधु तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
शान से हुई माता रानी की विदाई
जिले की सामाजिक, साहित्यिक और धार्मिक संस्था श्री रघुराज मानस कला मंदिर द्वारा बहराधाम मे आयोजित रामलीला मे श्रीराम-रावण युद्ध का मंचन पूर्व की तरह इस बार भी ख्याति के अनुरूप ऐतिहासिक रहा। असत्य और अहंकार के प्रतीक दशानन के धराशाई होते ही चहुंओर जय श्रीराम का उदघोष गूंज उठा। जिसके बाद बहराधाम में बनाये गए विशाल रावण के पुतले का दहन आकर्षक आतिशबाजी के बीच हुआ। यह विहंगम दृश्य देखने हज़ारों की संख्या मे लोगों की भीड़ उमड़ी। इस महान धार्मिक आयोजन मे हजारों श्रद्धालु सपरिवार सहभागी बने। उल्लेखनीय है कि बहराधाम मे श्रीराम लीला का यह 124वां वर्ष था।
विपत्तियों से दूर रखता धर्म
श्री रघुराज मानस कला मंदिर द्वारा न्यू बस स्टेण्ड मे विजयादशमी चल समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मातेश्वरी की प्रतिमाओं के एकत्रीकरण के उपरांत उनकी पूजा-अर्चना की गई। तत्पश्चात भगवान श्री राम द्वारा अपने बाण से प्रांगण मे खड़े रावण के पुतले का दहन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि नागरिकों के परिश्रम और श्रद्धा ने छोटी शुरूआत को वृहद रूप दे दिया है। नगर से प्रेरणा लेकर आसपास के क्षेत्रों मे दशहरा मनाया जा रहा है। उन्होने कहा कि 124 वर्ष पूर्व नगर के बुजुर्गों ने रामलीला की शुरुआत की थी। यह भगवान की महिमा ही है कि कभी मैदान के रूप मे जाना जाता यह प्रांगण अब विख्यात धर्म स्थल हो गया है। तमाम उतार चढ़ावों के बावजूद नागरिकों के सहयोग के कारण ही यह आयोजन अनवरत रहा है। क्योंकि परंपराओं का पालन ही हमारी परंपरा है। श्री सिंह ने कहा कि जिले को कई बार संकटों का सामना करना पड़ा, परंतु ईश्वर की कृपा से विपत्तियां टलती गई। जहां धर्म है वहां अनुशासन है और जिस स्थान पर धर्मपरायण लोग रहते हैं, वहां आपदाएं नहीं आती। उन्होंने मातेश्वरी और भगवान श्रीराम के जयकारों के सांथ चल समारोह को रवाना किया। इस मौके पर जिलेवासियों, प्रशासन, रामलीला कमेटी और मंचन कर रहे कलाकारों को विजयादशमी की बधाई और शुभकामनाएं दीं।
मंगलभवन मे हुआ रावण दहन
स्थानीय मंगल भवन मे कार्यक्रम का आयोजन विधायक बांधवगढ़ शिवनारायण सिंह, शंभूलाल खट्टर, ज्ञानेंद्र सिंह गहरवार, मनीष सिंह, नीरज चंदानी आदि की उपस्थिति मे किया गया। कार्यक्रम का शुभांरभ भगवान श्री राम, लक्ष्मण, माता सीता एवं हनुमान जी की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। इसके पश्चात रामलीला के मंचन मे श्रीराम ने रावण का वध कर उसका पुतला दहन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथियों द्वारा जिलेवासियों को दशहरे की शुभकामनायें प्रेषित की गई।
दूसरे दिन भी हुआ विसर्जन
शारदेय नवरात्र की दशमी तिथि विजयादशमी पर मातेश्वरी को भावभीनी विदाई दी गई। इससे पूर्व पण्डालों मे माता दुर्गा की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की गई तत्पश्चात बैण्ड बाजों के सांथ उन्हे नगर पालिका द्वारा बनाये गये विसर्जन कुण्डों तक पहुंचाया गया। गौरतलब है कि विसर्जन के दौरान भीड़भाड़ को नियंत्रित करने शहर मे इस बार भी तीन विसर्जन कुण्ड बनाये गये थे। जहां पर अलग-अलग क्षेत्रों मे विराजमान प्रतिमाओं का ससम्मान विसर्जन किया गया। विसर्जन का दौर दशहरे के दूसरे दिन बुधवार तक जारी रहा। विजयादशमी पर जिले भर मे सुरक्षा के कड़े इंतजामात किये गये थे। प्रशासन और पुलिस के अधिकारी पूरे समय जिले मे मुस्तैद रह कर कानून