शुक्र है, आज बीत रहा 2020

शुक्र है, आज बीत रहा 2020
कई कड़वी, खट्टी और कुछ मीठी यादों को संजोये आज विदा होगा बीता साल
उमरिया। यूं तो हर साल अपने आप मे खास होता है, पर गुजरता 2020 कई चाही-अनचाही घटनाओं से भरा रहा। इसीलिये यह मानस पटल पर गहरी छाप छोड़ कर जा रहा है। बीते साल मे कुछ ऐसे वाकये हुए जिन्होने हर आमोखास को झकझोर कर रख दिया। कोरोना के कोहराम ने तो देश को इस कदर प्रभावित किया कि लोग कहने लगे कि जिसने 2020 पार कर लिया समझो जग जीत लिया। आज यह साल हमसे विदा लेे रहा है, पर जो हुआ उसमे केवल समय की गलती नहीं होती, हर परिस्थिति मानव कर्म की परिणीति है। इससे सीख लेकर, स्वयं के आचरण मे सुधार कर आगे बढऩे वाले ही चुनौतियों से मुकाबिल होते हैं।
जिले मे महामारी की दस्तक
कोविड-19 ने जब देश मे कदम रखा तो किसी को भी यह एहसास नहीं था कि यह महामारी कितनी खतरनाक होगी। देखते ही देखते बीमारी ने अन्य राज्यों के सांथ मप्र को भी अपनी गिरफ्त मे ले लिया। संक्रमण को रोकने के लिये भारत सारकार को मार्च के महीने मे लॉकडाउन करना पड़ा, जिसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। दिनांक 15 मई 2020 को उमरिया जिले मे कोरोना का पहला मरीज गोपाल सिंह निवासी भौतरा जनपद पाली के रूप मे चिन्हित हुआ। वहीं इससे पहली मौत दिनांक 23 मई 2020 को हुई। देश और प्रदेश के कितने ही लोगों को कोरोना की वजह से अपने प्राण गवाने पड़े।
औरंगाबाद की लौमहर्षक घटना
कोरोना के कारण दूर-देश मे काम करने वालों की जबरदस्त फजीहत हुई। साधन न मिलने से लोग हजारों किलोमीटर दूर से पैदल ही परिवार के सांथ अपने घरों की ओर रवाना हुए। छोटे-छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो के भीषण गर्मी मे रेंगने के हृदय विदारक दृश्य ने पूरे देश को गमगीन कर दिया। इस दौरान दिनांक 8 मई को संभाग के 16 मजदूरों की ट्रेन से कट कर दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों मे 5 मजदूर उमरिया जिले के थे।
थमने को मजबूर हुई दुनियां
वर्ष 2020 प्राकृतिक आपदा का साल रहा। वह भी ऐसी जिसने दुनिया को थमने के लिये मजबूर कर दिया। किसी ने सपने मे भी नहीं सोचा होगा कि आने वाले करीब 6 महीनो तक ट्रेने चलेंगी ही नहीं। लोगों के धंधे बंद हो जायेंगे और तय शादियों को केंन्सिल करना पड़ेगा। यह सब कोरोना ने कर दिखाया। संक्रमण को रोकने के लिये सरकार को सारे आवागमन के साधन बंद करने पड़े। किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। हालत यह हुई कि लाखों लोग अपने घरों मे ही नजरबंद हो कर रह गये। कई तो सरकारी अनुमति के लिये जूझते रहे जबकि कितने ही मरीजों की समय पर इलाज न मिलने से मृत्यु हो गई। गुजर रहे साल मे शुरू हुई इस भीषण समस्या का अंत अभी भी नजर नहीं आता। अभी भी कोरोना के रोगियों का मिलना जारी है। नियमित ट्रेने बंद पड़ी हैं। वहीं स्कूलों मे पढ़ाई ठप्प है।
गाज ने बुझाये 4 घरों के चिराग
कोरोना के कहर के बीच आकाशीय बिजली ने 4 घरों के चिराग बुझा दिये। यह घटना दिनांक 26 अप्रेल को करकेली जनपद के ग्राम मरदरी मे हुई। जिसमे बिजली की लाईन खींचने के काम मे लगे 4 मजदूरों की गाज गिरने से मौत हो गई।
तीन की हुई जलसमाधि
आपदाओं का बीत रहे साल से जैसे चोली-दामन का सांथ रहा। इस दौरान घटित हादसों मे दर्जनो लोग काल कवलित हुए। 08 जून को जिले के मानपुर जनपद अंतर्गत ग्राम भमरहा के तीन मासूम सोन नदी मे समा गये। मृतक अपने मामा के घर घूमने आये थे लौटने के दौरान बच्चे नदी के बहाव मे बह गये जिससे सभी की मौत हो गई।

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