शक्ति की उपासना मे डूबे लोग
जिले भर मे भक्ति और श्रद्धा का वातावरण, गूंज रहे मातेश्वरी के जयकारे
उमरिया। शारदेय नवरात्रि के पावन पर्व पर पूरा जिला शक्ति की उपासना मे डूब गया है। मंदिरों मे सुबह से श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। जयकारों की गूंज और भक्तिमय गीतों ने वातवरण को और भी धार्मिक बना दिया है। रविवार को पंचमी पर कई स्थानो मे मातेश्वरी की विधि-विधानपूर्वक स्थापना की गई। इसके बाद शहर मे करीब 50 से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमायें विराजित हो चुकी हैं। कलाकारों ने प्रतिमाओं मे विभिन्न प्रकार की भाव-भंगिमाओं को प्रदर्शित किया है। साज-सज्जा के बाद माता की छवि इतनी मन मोहक हो गई है कि देखो तो बस देखते ही रहने को जी चाहता है। नवरात्रि का पर्व चंदिया, मानपुर, बांधवगढ़, इंदवार, करकेली, नौरोजाबाद क्षेत्र सहित जिले के कोने-कोने मे पूरे उत्साह और श्रद्धा के सांथ मनाया जा रहा है। माता मंदिरों मे विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भण्डारे हो रहे हैं। जबकि पण्डालों के समक्ष भी विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं।
भगत गा रही मंडलियां
कई स्थानो पर शाम होते ही स्थानीय महिलायें व पुरूष अपनी मण्डली के सांथ पहुंच कर भगत का गायन भी कर कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मातेश्वरी की प्रतिमायें नवरात्रि की पंचमी तक स्थापित की जाती हैं। इसके बाद स्थापना का दौर थम जाता है। पर्व के शेष बचे हुए दिनो के दौरान धार्मिक आयोजन मे और तेजी आयेगी। आगामी 15 अक्टूबर को विजयादशमी पर मातेश्वरी को भावभीनी विदाई दी जायेगी।
मां बिरासिनी मंदिर मे 4054 कलश स्थापित
जिले की प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां बिरासिनी दरबार मे भी भक्ति की धूम है। मां बिरासिनी के दर्शन को नकेवल उमरिया बल्कि आसपास के जिलों और प्रदेशों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस दौरान मंदिर परिसर मे मुंडन और कंछेदन जैसे पारिवारिक कार्यक्रम भी संपन्न हो रहे हैं। पंचमी तक मंदिर परिसर मे कुल 4054 कलशों की स्थापना हो चुकी है। मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य पं. प्रकाश पालीवाल ने बताया कि प्रांगण मे स्थापित आजीवन घी के कलश अब 337 जबकि तेल कलश 137 हो गये हैं। इसके अलावा शारदेय नवरात्र मे 618 घी कलश तथा 714 तेल कलश एवं 2248 जवारा कलशों की स्थापना की गई है। इसके अलावा उचेहरा वाली मां ज्वाला सहित सभी माता मंदिरों मे श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है।
मां अन्नपूर्णा मंदिर मे भक्तों का तांता
जिला मुख्यालय की धर्मपीठ बहराधाम मे बिराजी माता अन्नपूर्णा का दरबार भी भक्तों से सजा हुआ है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिन तक मातेश्वरी का स्वरूप अपने आप बदलता रहता है। पास ही बैठे उमरेश्वर महाराज की छवि भी विशेष तौर पर दर्शनीय है। रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु दोनो देवताओं की छवि अपनी आखों मे संजो रहे हैं। बहराधाम मे इस वर्ष भी श्री रामलीला का आयोजन किया गया है। श्रीराम विवाह के उपरांत रामलीला देखने आने वाले दर्शकों की संख्या बढऩे लगी है। उधर आयोजन समिति ने रावण के पुतले का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। जिसका दहन विजयादशमी पर श्रीराम द्वारा रावण का वध करने के उपरांत होगा।
शक्ति की उपासना मे डूबे लोग
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