व्यवसाय नहीं सेवा है मध्यस्थता

मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये ली बैठक
बांधवभूमि, उमरिया
मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमथ ने कहा है कि न्यायालयों मे लंबित प्रकरणो के निराकरण मे मध्यस्थता का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिये। इससे जहां लोगों को राहत मिल सकेगी, वहीं उनका समय और पैसा भी बचेगा। मुख्य न्यायाधीश गुरूवार को वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से राज्य के प्रशिक्षित मध्यस्थों से चर्चा कर रहे थे। इस मौके पर न्यायाधीश श्री अतुल श्रीधरन भी मौजूद थे। बैठक मे प्रदेश भर के प्रशिक्षित मध्यस्थों ने इस प्रक्रिया को गति देने के लिये अपने सुझाव रखे। मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमथ ने कहा मध्यप्रदेश मे मध्यस्थता से प्रकरणो के निराकरण की प्रक्रिया बेहद कमजोर है, जबकि कर्नाटक जैसे राज्यों यह काफी कारगर हो गई है। एक मध्यस्थ ने जब इसके लिये प्रोफेशन शब्द का इस्तेमाल किया तो श्री मलिमथ ने तत्काल प्रतिकार करते हुए कहा कि मध्यस्थता व्यवसाय नहीं बल्कि एक सेवा है, सभी को समाजहित मे इसे सफल बनाना चाहिये। उन्होने इस दौरान प्राप्त सुझावों पर विचार का आश्वासन दिया। सीजे की अध्यक्षता मे हुई इस बैठक मे जिले के प्रशिक्षित मध्यस्थ राजेश शर्मा, यश कुमार सोनी तथा दिनकर तिवारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश सभागार से जुड़े। इस अवसर पर जिला विधिक सहायता अधिकारी बीडी दीक्षित भी उपस्थित थे।

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