वाराणसी, उज्जैन और पुष्कर में देव दिवाली

काशी 10 लाख दीयों से रोशन हुई, क्षिप्रा में दीप दान, जगमग हुए पुष्कर के 52 घाट

नई दिल्ली।कार्तिक पूर्णिमा पर आज देशभर में देव दिवाली मनाई जा रही है। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल लोक के विस्तार के बाद यहां पहली बार देव दिवाली मनाई गई। काशी के 88 घाट पर सोमवार शाम 10 लाख दीप जलाए गए। वहीं क्षिप्रा तट दीप दान से रोशन हो उठा। इसके अलावा राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर के 52 घाट रोशनी से जगमगा रहे थे।पौराणिक मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस खुशी में देवी-देवता काशी के गंगा घाट पर उतरे और अनेकों दीए जलाए। इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है। इसी परम्परा के तहत दुनियाभर के श्रद्धालु पावन नदियों में स्नान कर दीपदान करते हैं और देवताओं से आशीर्वाद लेते हैं।कार्तिक महीने के आखिरी दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। अग्निपुराण में कहा गया है कि दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा। विद्वानों का कहना है कि पद्मपुराण में भगवान शिव ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय को दीपदान का महत्व बताया है।देव दीपावली पर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी 10 लाख दीयों से जगमग हो गई है। इस मौके का साक्षी बनने के लिए कई राज्यों से लोग आए। इसके चलते घाटों पर जबरदस्त भीड़ रही। दशाश्वमेध घाट पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देव दिवाली पर लोगों को बधाई दी। धार्मिक नगरी उज्जैन में सोमवार सुबह से वैकुंठ चतुर्दशी मनाई गई। वहीं, शाम को कार्तिक पूर्णिमा शुरू होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा किनारे पहुंचे। मंगलवार को चंद्रग्रहण होने से श्रद्धालुओं ने सोमवार को दीपदान किया। शाम ढलते ही बड़ी संख्या में लोग नदी के तट पहुंचकर दीपदान किया।

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