वंचित लोगों तक पहुंचने की कोशिश करें अफसर

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने की नवनियुक्त आईएएस अधिकारियों से मुलाकात
नई दिल्ली।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि सिविल सेवकों को वंचित लोगों तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि कल्याणकारी पहलों को वास्तव में तभी सफल माना जा सकता है जब उनका लाभ समाज के सबसे निचले तबके के लोगों तक पहुंचे। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2020 बैच के 175 अफसरों के एक समूह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि सिविल सेवकों से यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति या सबसे वंचित व्यक्ति तक पहुंचें और उनके जीवन स्तर में सुधार करें। उन्होंने कहा कि सिविल सेवक उन लोगों के लिए अवसर खोल सकते हैं जो कल्याणकारी योजनाओं या विकास कार्यक्रमों से अवगत नहीं हैं।
‘नंबर वन’ बनाने जुनून जरूरी
राष्ट्रपति ने कहा कि मानव विकास सूचकांकों के मामले में अपने क्षेत्र को ‘नंबर वन’ बनाने के लिए सिविल सेवकों में जुनून होना चाहिए और उन्हें वंचितों के जीवन को बदलने में गर्व महसूस करना चाहिए। उन्हें उन लोगों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए जिनकी वे सेवा करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरी दुनिया एक परिवार है) भारतीय लोकाचार का हिस्सा है और ‘भारतमेव कुटुंबकम’ (पूरा भारत मेरा परिवार है) अखिल भारतीय सेवाओं से जुड़े सिविल सेवकों के लोकाचार का अभिन्न अंग होना चाहिए।
निचले तबके तक पहुंचे कल्याणकारी पहलों का लाभ’
राष्ट्रपति ने उन्हें यह भी याद दिलाया कि किसी भी कल्याणकारी पहल को सही मायने में तभी सफल माना जा सकता है जब उसका लाभ गरीबों, दलितों और समाज के सबसे निचले तबके अन्य लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे में जबरदस्त वृद्धि से देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचना आसान हो गया है और सिविल सेवकों को वंचित लोगों तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि सिविल सेवकों को लोक सेवा के प्रति समर्पण, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति और करुणा से निर्देशित होना चाहिए और ईमानदारी व आचरण, निष्पक्षता के उच्च मानकों को बनाए रखना चाहिए।
आधुनिक और सेवान्मुख मानसिकता के साथ काम करना होगा
अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनसे छठी अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों, अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण और उत्तर पूर्व में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के प्रावधानों के संबंध में विशेष रूप से जागरूक और सक्रिय होने की उम्मीद है।एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वर्तमान में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिवों के रूप में प्रतिनियुक्त इन आईएएस अधिकारियों ने यहां राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात की।
उन्हें संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि सिविल सेवकों के रूप में भारत के ज्ञान, आपूर्ति श्रृंखला, नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को सामाजिक रूप से समावेशी और पर्यावरणीय रूप से सतत विकास के क्षेत्रों में नेतृत्व की स्थिति को मजबूत करना होगा।  उन्होंने कहा कि 2047 के भारत को आकार देने के लिए सिविल सेवकों को आधुनिक और सेवान्मुख मानसिकता के साथ काम करना होगा। मुर्मू ने कहा कि मिशन कर्मयोगी हमारे सिविल सेवकों को उनके दृष्टिकोण में अधिक आधुनिक, गतिशील और संवेदनशील बनाने की एक प्रमुख पहल है।
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