लोकार्पण हो गया पर नहीं मिली मजदूरी
कोरोना काल मे हुए निर्माण कार्यो की मजदूरी के लिये भटक रहे श्रमिक
उमरिया। जिले मे कोरोना काल के दौरान हुए निर्माण कार्यो मे मजदूरी करने वाले हजारों श्रमिकों को महीनो बीत जाने के बावजूद मजदूरी नहीं मिल पाई है। इनमे अधिकांश लोग महामारी के दौरान विभिन्न प्रांतों से लौटे थे, जिन्हे रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे कई तरह के विकास कार्य शुरू किये गये थे। अब कई मजदूर भुगतान न होने से परेशान हो कर यहां-वहां भटकते फिर रहे हैं। मजे की बात यह है कि पिछले दिनो इन सभी कार्यो का लोकार्पण देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जलाभिषेकम कार्यक्रम के तहत किया गया था। सलैया, खोलखम्हरा, मालाचुआ, ओढ़ेरा, शाहपुर, बकेली अािद पंचायतों के श्रमिकों का कहना है कि यदि जल्दी ही मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ तो वे मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत करेंगे।
इन संरचनाओं का हुआ लोकार्पण
केन्द्रीय रक्षा मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री तथा मुख्यमंत्री द्वारा जिले मे निर्मित जिन 1190 जल संरचनाओं का लोकार्पण किया गया उनमे 298 नवीन तालाब लागत 1929.8 लाख, 51 तालाब जीर्णोद्धार के कार्य लागत दो सौ लाख रूपये, हितग्राही मूलक योजना अंतर्गत 296 खेत तालाब लागत 314 करोड़ रूपये, 39 परकोलेशन टैंक लागत 221 लाख रूपये, 30 स्टाप डेम लागत 302 लाख रूपये, 102 चेक डेम लागत 595 लाख रूपये, 14 सामुदायिक निर्मल नीर कूप लागत 26 लाख रूपये, 360 कपिलधारा कूप लागत 651 लाख रूपये शामिल हैं।
जिला पंचायत से लेकर सचिव तक हुई बंदरबांट
कोरोना महामारी और लॉकडाउन से बेरोजगार हुए प्रवासी मजदूरों को उन्ही के गांव मे रोजगार उपलब्ध कराने की गरज से सरकार ने पूरे जिले मे जलाभिषेकम कार्यक्रम शुरू किया गया था। इससे मजदूरों का तो भला नहीं हुआ पर जिले मे बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को बिन मांगे मुराद मिल गई। सूत्रों का दावा है कि सरकारी पैसा को हड़पने के लिये आनन-फानन मे काम शुरू कराये गये, इनमे श्रमिकों की बजाय मशीनो ने मजदूरी की। फिर फर्जी मस्टर रोल भर कर भुगतान किया जाने लगा। इस धांधली मे सचिव से लेकर जिला पंचायत के आला अधिकारी शामिल हैं। जिन्होने आपदा को अवसर बना कर करोड़ों का वारान्यारा किया है।
अधूरे पड़े कई निर्माण
सूत्रों का दावा है कि जिन 1190 जलसंरचनाओं का लोकार्पण कराया गया है, उनमे से ज्यादातर मे आधा या आधे से भी कम काम हुआ है। जबकि कई योजनाओं का पैसा भी आहरित किया जा चुका है। सवाल उठता है कि करोड़ों रूपये का यह घोटाला हो गया और सरकार की मोटी तन्ख्वाह के सांथ बंगला और मोटर की सुविधा लेने वाले जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को खबर तक नहीं हुई, यह कैसे संभव है। दरअसल यह पूरा मामला मिलीभगत से हुए घोटाले से जुड़ा हुआ है। यदि इसकी निष्पक्ष जांच हो जाय तो कई अफसरों की नपाई हो सकती है।
जनपद मे नहीं है रूकावट
संबंधित पंचायतों से मस्टर रोल तथा अन्य दस्तावेज आते ही भुगतान की कार्यवाही हो जाती है। जनपद स्तर पर किसी प्रकार की रूकावट नहीं है।
आरके मण्डावी
सीईओ
जनपद-करकेली
लोकार्पण हो गया पर नहीं मिली मजदूरी
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