लखीमपुर हिंसा पर सियासत तेज

समूचे यूपी में दिनभर रहा हंगामा, विपक्षी नेताओं को रोका

लखनऊ। उप्र के लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। सोमवार को मौके पर जाने की कोशिश करने वाले सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को रोक दिया गया अथवा हिरासत में ले लिया गया। इस बीच, राज्य सरकार ने दो टूक कहा है कि विपक्षी दलों का 2022 के विधानसभा चुनाव का सफर लाशों पर नहीं हो सकता। किसी को भी माहौल बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सोमवार सुबह लखीमपुर जाने के लिए निकले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को राजधानी लखनऊ की पुलिस ने उन्हें घर से निकलते ही रोक लिया। रोके जाने से नाराज अखिलेश यादव सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। बाद में उन्हें तथा पार्टी के मुख्य महासचिव रामगोपाल यादव को हिरासत में ले लिया गया। उधर, लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश करने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सीतापुर में और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के मुखिया शिवपाल सिंह यादव को हिरासत में ले लिया गया जबकि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चैधरी और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को रास्ते में अलग-अलग स्थानों पर रोक लिया गया। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को भी लखीमपुर जाने से रोकते हुए उन्हें लखनऊ में ही नजरबंद कर दिया गया। इसी प्रकार कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी को भी पुलिस घर से बाहर नहीं निकलने दिया।

प्रियंका गांधी सहित पांच नेता हिरासत मे

उधर, इसके पूर्व कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी तथा पार्टी राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत पांच नेताओं को सोमवार तड़के लखीमपुर खीरी जाते वक्त रास्ते में सीतापुर में हिरासत में ले लिया गया। प्रियंका गांधी आधी रात के बाद पैदल ही अपने लखनऊ स्थित आवास से करीब डेढ़ किमी. पैदल गयीं और फिर गाड़ी में बैठकर लखीमपुर के लिए रवाना हो गयीं। यहां पुलिस उन्हें रोकने में नाकाम रहीं। वहीं सीतापुर जिले से ठीक पहले सिधौली में भी उन्हें रोकने का प्रयास किया गया लेकिन वह सीतापुर पहुंच गयीं। जहां उन्हें घेरकर रोका गया और फिर उन्हें पीएसी के गेस्ट हाउस में हिरासत में रखा गया। इस दौरान उनकी पुलिस अधिकारियों एवं कर्मियों से तीखी बहस भी हुई।

सरकार और किसानों में समझौता

लखीमपुर में सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है। सरकार ने मृतकों के परिवार को 45 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। मरने वालों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। साथ ही घटना की न्यायिक जांच और 8 दिन में आरोपियों को अरेस्ट करने का वादा भी किया गया है।

UP के ADG प्रशांत कुमार ने कहा, ‘मारे गए 4 किसानों के परिवारों को सरकार 45 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी। घायलों को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत पर FIR दर्ज की जाएगी। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि CRPC की धारा 144 लागू होने के कारण राजनीतिक दलों के नेताओं को जिले का दौरा नहीं करने दिया गया है। हालांकि, किसान संघों के सदस्यों को यहां आने की इजाजत है।

जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता:सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वहीं केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की उस याचिका पर सुनवाई हो रही थी। जिसमें जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है।

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