राज्यसभा चुनाव की बाड़ेबंदी शुरू

कांग्रेस विधायकों को होटल भेजने की तैयारी में, भाजपा ने 4 राज्यों में प्रभारी बनाए

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव को लेकर बाड़ेबंदी शुरू हो गई है। राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चुनाव को देखते हुए भाजपा ने यहां प्रभारी नियुक्त किया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को राजस्थान, गजेंद्र सिंह शेखावत को हरियाणा, अश्विणी वैष्णव को महाराष्ट्र और जी किशन रेड्डी को कर्नाटक का प्रभार दिया गया है। वहीं कांग्रेस भी हरियाणा और राजस्थान में अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस और समर्थक विधायकों को एकजुट रखने के लिए 3 जून से उदयपुर में बाड़ेबंदी की तैयारी की जा रही है। सभी विधायकों को उसी होटल में ठहराया जाएगा, जहां पिछले महीने कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था। कांग्रेस इससे पहले भी साल 2020 में विधायकों की बाड़ेबंदी कर चुकी है। इधर, हरियाणा में भी विधायकों को राजस्थान में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। हरियाणा से सटे राजस्थान के बॉर्डर के आसपास सभी विधायकों को रखने की तैयारी है। हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कुलदीप विश्नोई शामिल नहीं हुए। ऐसे में उनको लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
 तीसरी सीट पर राह आसान नहीं
राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर उम्मीदवार को जीत के लिए 41-41 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस ने 3 कैंडिडेट रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को उतारा है, जबकि भाजपा ने घनश्याम तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने भाजपा समर्थन से निर्दलीय पर्चा भरा है। कांग्रेस के पास खुद के 108 विधायक हैं। एक आरएलडी के सुभाष गर्ग हैं। 13 निर्दलीय, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर कांग्रेस ने 126 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। कांग्रेस के इस दावे के बावजूद सेंध का खतरा बना हुआ है। नाराज विधायक तीसरे सीट पर कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। चार निर्दलीय, दो बीटीपी विधायक कांग्रेसी खेमे से खिसके तो संख्या बल 120 ही रह जाएगा। ऐसे में तीसरे उम्मीदवार के जीतने पर ग्रहण लग सकता है।
कागज पर मजबूत, मगर गणित गड़बड़ होने का डर
हरियाणा में राज्यसभा की कुल 2 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर उम्मीदवार को 31-31 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 31 विधायकों का समर्थन है, इसके बावजूद पार्टी को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। हरियाणा में कांग्रेस ने अजय माकन और भाजपा ने कृष्णलाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय पर्चा भरा है, उन्हें दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा का समर्थन मिला है, जिसके पास 10 विधायक हैं।कागज पर मजबूत कांग्रेस में कुलदीप विश्नोई समेत कई विधायक नाराज हैं। ऐसे में पार्टी को डर है कि वोटिंग में इसका असर देखने को न मिले। 2016 के चुनाव में क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस हरियाणा में हार चुकी है।
छठी सीट के लिए शिवसेना का भाजपा से मुकाबला
महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर सीट के लिए 42 विधायकों के वोट चाहिए। शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के पास एक-एक सीट जीतने के लिए प्रयाप्त संख्या है, जबकि भाजपा दो सीटें आसानी से जीत जाएगी।भाजपा ने तीसरे उम्मीदवार के रूप में धनंजय महादिक को मैदान में उतारा है, जिसके बाद वहां भी वोटिंग की नौबत आ गई है। तस्वीर राज्यसभा सदस्यों के नामांकन के दौरान की है।शिवसेना ने यहां पर 2 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसके लिए उसे अपने सहयोगियों और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों से 30 और वोटों की आवश्यकता है। भाजपा ने भी यहां पर तीसरे उम्मीदवार धनंजय महादिक से पर्चा दाखिल करवा दिया है, जिसके बाद मुकाबला रोचक हो गया है। बीजेपी के पास तीसरे कैंडिडेट के लिए 22 वोट बचे हैं। वहीं अगर निर्दलीय और कांग्रेस-रांकपा का वोट खिसका तो छठी सीट पर पेंच फंस सकती है।
बागी विधायकों पर सबकी नजर
कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हरेक सीट के लिए 46 विधायकों का वोट जरूरी है। भाजपा के पास 121 विधायक हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से 2 सदस्यों का सदन जाना तय है, लेकिन भाजपा ने यहां तीसरा उम्मीदवार भी उतार दिया है। वहीं कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, जिसमें एक सदस्य का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है। पार्टी ने यहां दूसरा उम्मीदवार भी उतार दिया है। इसके अलावा 32 सीटों वाली जेडीएस ने भी कैंडिडेट खड़ा कर दिया है।ऐसे में यहां पर 4 सीटों के लिए कुल 6 कैंडिडेट हो गए हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस तीनों पार्टियों को उम्मीद है कि चुनावी साल में बागी विधायक उनका समर्थन करेंगे, जिससे उनके कैंडिडेट राज्यसभा में पहुंच जाएंगे।
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