राजकीय सम्मान से हुआ स्नीफर डॉग बैली का अंतिम संस्कार, कई घटनाओं के खुलासों मे था योगदान
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
जिले मे लंबे समय तक अपनी कुशाग्र बुद्धि और सूझबूझ से आपराधिक मामलों के खुलासों मे महत्वपूर्ण योगदान देने वाली मादा डॉग बैली का शनिवार को स्थानीय पुलिस लाईन परिसर मे राजकीय सम्मान के सांथ अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के सहायक संचालक विवेक सिंह, अनुविभागीय अधिकारी दिलीप कुमार मराठा, फते सिंह निनामा सहित वन विभाग तथा पुलिस के कई अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे। जानकारी के मुताबिक बीते गुरूवार को पार्क मे शिकार के प्रकरण का मुआयना करने के दौरान ही अचानक बैली की तबियत नासाज हो गई थी। जिसके बाद उसे तत्काल उमरिया लाया गया। बताया गया है कि जांच मे शरीर का तापमान अधिक पाये जाने पर मादा डॉग को आवश्यक दवायें, ड्रिप आदि दी गई, परंतु उसके स्वास्थ्य मे सुधार नहीं हो सका। शव का पीएम जबलपुर मे कराया गया। जहां से वापस आने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया।
स्नाईफर और ट्रेकर की भूमिका
एसडीओ रैंक की डॉग बैली स्नाईफर और ट्रेकर दोनो विधाओंं मे प्रशिक्षित थी, लिहाजा उसे वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान सुरक्षा जांच के अलावा गंभीर अपराधों की पतासाजी के लिये नकेवल उमरिया जिले बल्कि पूरे प्रदेश मे ले जाया जाता था। अपनी सेवा के दौरान बैली ने करीब 86 मामलों के खुलासों मे योगदान देते हुए 101 आरोपियों की पहचान की। इसके अलावा उसने कई प्रतियोगितायें भी जीती। राज्य के विभिन्न स्थानो मे घटित अपराधों के नियंत्रण मे महती भूमिका तथा अनुशासन के कारण बैली को अनेक बार पुरूस्कृत किया गया।
इस तरह तैयार होते हैं खोजी डॉग
सूत्रों के मुताबिक खोजी डॉग को प्रशिक्षित करने का कार्य ट्रैफिक इण्डिया नामक सरकारी संगठन करता है। संस्था मे अधिकांशत: डेपुटेशन मे भेजे गयेे सीनियर डीएफओ, सीएफ, सीसीएफ रैंक के अधिकारी होते हैं। यहां पर डॉग मे हथियार, विस्फोटक आदि के अलावा वन्य जीवों की चमड़ी, दांत, नाखून जैसे अंगों के पहचान की क्षमता विकसित की जाती है। करीब 6 से 8 महीने तक की ट्रेनिंग तथा वर्षो के अनुभव के बाद एक मंझा हुआ स्नाईफर या ट्रैकर डॉग तैयार हो पाता है। बैली का जन्म वर्ष 2017 मे हुआ था। उसके एक साल बाद 2018 मे राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र टेकनपुर, ग्वालियर मे उसकी ट्रेनिंग हुई थी।
ताला मे था स्थाई आवास
डॉग बैली के लिये ताला मे एक कैनाल बनवाया गया था। बगल मे ही उसके हेण्डलर राजकुमार मिश्रा एवं सहायक हैडलर अशोक प्रधान भी रहते थे। जानकारों के मुताबिक स्नाईफर डॉग का पूरा खयाल उसके हैण्डलर रखते हैं। जिसमे डॉग के खान-पान से लेकर रोजाना स्वास्थ्य जांच कर उसे रजिस्टर मे दर्ज करना इत्यादि शामिल है। प्रशिक्षण के बाद शुरूआती दौर मे हैण्डलर तथा सहायक को कई दिन तक नियमित रूप से डॉग के सांथ रहना होता है, जिससे उनमे आपसी समझ विकसित हो सके। बैली की मौत के बाद अब जिले के लिये वैसे ही स्नाईफर डॉग की जरूरत होगी।