दुर्घटना के शिकार मासूम रमन की दर्दनाक मौत, पूरन की हालत चिंताजनक
बांधवभूमि, हुकुम सिंह
नौरोजाबाद। नगर के रेल्वे स्टेशन के समीप हाइवे पर गत दिवस हुए भीषण सड़क हादसे ने एक और घर का चिराग बुझा दिया। रफ्तार के कहर से घायल मासूम रमन अंतत: जिंदगी की जंग हार गया। उल्लेखनीय है कि कारगिल मोहल्ला नौरोजाबाद निवासी चन्नी सिंह का सात वर्षीय बेटा रमन अपने दोस्त पूरन शाह 12 के संग सोमवार को सायकिल से घूमने निकला था। तभी एक ट्रक क्रमांक एमपी 20 एचबी 5832 के ड्रायवर की लापरवाही ने दोनो को अपना शिकार बना डाला। इस दुर्घटना ने बच्चों के पैरों के परखच्चे उड़ा दिये थे। घटना का दृश्य इतना हृदय विदारक था कि किसी की हिम्मत इसे देखने की नहीं हो रही थी। कुछ देर बाद दोनो बालकों को जिला चिकित्सालय मे भर्ती कराया गया। जहां से उन्हे जबलपुर रिफर किया गया। बताया गया है कि रास्ते मे रमन की सांसें थम गई, जबकि पूरन अभी भी मौत से संघर्ष कर रहा है।
क्यों मौन हैं जिम्मेदार
जिले मे सड़क हादसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मई के महीने मे ही करीब आधा दर्जन ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमे कई जाने गई, वहीं अनेक लोग घायल हुए हैं। इनमे अधिकांश घटनायें स्पीड के कारण हुई हैं। रफ्तार का दानव मासूम राहगीरों और यात्रियों का लहू पी रहा है। ड्राईवर शराब के नशे मे वाहन चालन कर लोगों की जिंदगियों से खेल रहे हैं। यह सब देख कर भी जिम्मेदार मौन हैं। सवाल उठता है कि मौत के चीत्कारों से पुलिस की आखें क्यों नहीं खुल रही हैं, और क्यों वाहनों को ऐसी धमाचौकड़ी मचाने की छूट दी गई है।
जारी है ओवरलोड का खेल
जानकारों का मानना है कि रफ्तार के अलावा ओवरलोड भी दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है। जिले के संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र के अलावा अन्य पावर प्लांटों से निकली राखड़ का परिवहन जिस तरीके से हो रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है। इसके अलावा अन्य कई वाहन क्षमता से दोगुना माल लेकर जिले की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन विशालकाय वाहनो के सामने यदि कोई आ जाय तो उसे रोकना ड्रायवर के बस मे नहीं होता। अब सामने वाले की किस्मत ही है, जो उसे बचा ले।
मगरमच्छों से छूटता पसीना
मजे की बात यह है कि यातायात के नियमो का खुला उल्लंघन उन्ही अधिकारियों के सामने हो रहा है, जो आये दिन अपने भाषणो मे नीति और नैतिकता की बातें करते नहीं थकते। उनका महकमा छोटे-मोटे वाहनो के लिये तो मोटर व्हीकल अधिनियम की किताब बिछाने को तैयार रहता है, पर तालाब के मगरमच्छों पर नकेल कसने की सोच कर ही पसीने छूट जाते हैं, क्योंकि उनकी मजबूरी महात्मा गांधी की फोटो वाला कागज का टुकड़ा जो है। यही हालत रही तो न रफ्तार थमेगी और ना ही सड़कों पर मासूमो का खून बहना रूक सकेगा।
रफ्तार ने बुझाया एक और चिराग
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