कोरोना से मृतक के परिवारों को राहत मामले मे केंद्र से 3 दिन मे मांगा जवाब
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण हुई मौतों को मुआवजा देने के मसले पर सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दायर कर जानकारी दी गई थी कि कोरोना से मरने वाले सभी लोगों को ४ लाख रुपये मुआजवा नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि यह बाढ़-तूफान जैसी आपदा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अब कोरोना से मौत पर मुआवजे, कोविड डेथ सॢटफिकेट के मसले पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। अदालत ने केंद्र से कोविड डेथ सर्टिफिकेट की गाइडलाइन्स आसान करने को कहा है, साथ ही पूछा है कि पहले जो सर्टिफिकेट जारी हो चुके हैं क्या उनमें बदलाव हो सकेगा। अदालत ने तीन दिन में केंद्र से लिखित जवाब देने को कहा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने केंद्र द्वारा दिए गए जवाबों पर सवाल खड़े किए। वकील ने कहा कि केंद्र कह रहा है प्राकृतिक आपदा एक बार होती हैं, बल्कि कोरोना तो लगातार जारी है। केंद्र पैसों की कमी की बात करके किसी को राहत पहुंचाने से इनकार नहीं कर सकता है।
कुछ गाइडलाइन्स जरूर होनी चाहिए
वकील की ओर से २०१५ के आदेश को लागू कर मुआवजा देने की बात कही गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि २०१५ का आदेश लागू नहीं हो सकता है, हर आपदा अलग तरह की होती है। अगर किसी छोटी आपदा में चिन्हित लोगों की जान जाती है, तो आप उसे लागू कर सकते हैं। लेकिन ये तो वैश्विक महामारी है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि कुछ गाइडलाइन्स जरूर होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने बताया हमारा फोकस तैयारी और मैनेजमेंट पर रहा है, हम जून २०२१ में पहुंच गए हैं और इसका कोई अंत नहीं दिख रहा है। हमारी तैयारी पांच साल के लिए है। कोर्ट ने इस दौरान फाइनेंस कमीशन के अधिकार का जिक्र किया, जिसपर एसजी ने कहा कि अगर किसी अन्य मदद की जरूरत होगी तो हमें फिर संसद में जाकर परमिशन लेनी होगी।
ये सब आपदा मैनेजमेंट का ही हिस्सा
केंद्र ने कहा कि मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन, मुफ्त में अनाज देना, ये सब आपदा मैनेजमेंट का ही हिस्सा है। ऑक्सीजन की खरीद भी इसी में आती है। अदालत ने सवाल किया कि क्या वैक्सीनेशन भी इसी में है, जिसपर एसजी ने कहा उसके लिए अलग से फंड बनाया गया है। एसजी ने कोर्ट को बताया कि सरकार की प्राथमिकता कोविड मैनेजमेंट है, मुआवजा नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि क्लास ४ के कर्मचारियों को इंश्योरेंस पॉलिसी कवर क्यों नहीं दिया गया। सरकार ने सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को इंश्योरेंस दिया है, जहां कमी रह गई है उस ओर ध्यान दिया जाएगा।
फंड की बात पर कई तरह का असर पड़ सकता
अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसा नहीं है कि सरकार के पास फंड नहीं हैं, लेकिन हमारा कहना है कि हम मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और फूड डिस्ट्रिब्यूशन पर उसे खर्च करना चाह रहे हैं। अदालत ने कहा आपको अपनी बात कहने का अधिकार है, क्योंकि फंड की बात पर कई तरह का असर पड़ सकता है। सरकार के दावे पर वकील ने कहा कि हलफनामे में इन्होंने फंड की बात कही थी, लेकिन अब कह रहे हैं कि किसी ओर जगह इस्तेमाल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने डेथ सर्टिफिकेट पर कोविड कारण न होने को लेकर सवाल किया, अदालत ने कहा कि कई अस्पताल कागज नहीं दे रहे हैं, मौतों का कारण शामिल नहीं किया जा रहा है। कोरोना के कारण भी हार्ट अटैक और अन्य दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन कुछ कागजों में नहीं दिख रहा है।
मौत घोषित करने की गाइडलाइन्स दी गई
अदालत के सवाल पर सरकार ने कहा कि कोविड से मौत घोषित करने की गाइडलाइन्स दी गई हैं, जिसपर अदालत ने कहा कि क्या इन्हें सिम्पल नहीं किया जा सकता है। गाइडलाइन्स बनाते हुए जमीनी स्तर की हकीकत का भी ध्यान रखें। कोर्ट ने कहा कि देश में नैतिकता चली गई है, लोग हर चीज की ब्लैक मार्केटिंगग कर रहे हैं। आपको आसान गाइडलाइन्स के साथ आना होगा, ताकि लोगों को आसानी से समझ में आ सके। सरकार ने केंद्र और याचिकाकर्ता से तीन दिन में अपनी सभी बातें लिखित में देने को कहा है।
मुआवजे पर कोर्ट का फैंसला सुरक्षित
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