मीलों दूर भेजे जा रहे निराश्रित मवेशी
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की पहल का चहुं ओर स्वागत
उमरिया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की विशेष पहल पर जिला मुख्यालय की सड़कों के आसपास डेरा जमाये निराश्रित मवेशियों को हटाने का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। नगर पालिका की टीम द्वारा पशुओं को वाहनो मे भर कर दूरस्थ ग्राम कौडिय़ा भेजा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते कई वर्षो से जिले मे मवेशियों को खुला छोडऩे की प्रथा सी बन गई है। घरों मे जगह न मिलने के कारण बड़ी संख्या मे मूक पशु दिन भर यहां-वहां मुंह मारने के बाद अपना पूरा समय हाईवे और शहर की सड़कों पर गुजारते हैं। इस वजह से आये दिन दुर्घटनायें होती हैं। वहीं कई निरीह जानवर वाहनो की चपेट मे आकर मौत के मुंह मे समा जाते हैं। लंबे समय से प्रशासन को इस संबंध मे अवगत कराया जा रहा था, परंतु कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी। अंतत: इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने नगर पालिका को अभियान चलाने का निर्देश दिया है। उनके इस पहल की चहुं ओर प्रशंसा हो रही है। वहीं इसी तरह की मुहिम पूरे जिले मे चलाने की मांग की जा रही है।
अपाहिज हुआ युवा व्यापारी
सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की वजह से जिले मे कई दुर्घटनायें हो चुकी हैं। बीते वर्ष नगर के प्रतिष्ठित छतवानी परिवार का युवा व्यापारी जिला मुख्यालय के लालपुर मे सड़क पर पड़े मृत मवेशी से टकरा कर घायल हो गया था। रीढ़ की हड्डी मे चोट लगने के कारण युवक का ऊपरी हिस्सा सुन्न पड़ गया। जो आज तक ठीक नहीं हो पाया है।
स्वार्थी पालकों की कारस्तानी
इस समस्या के लिये स्वार्थी पशु पालक पूरी तरह से जिम्मेदार हैं, जो दूध , मलाई छानने के बाद अपनी गाय-भैंसों को बेघर कर देते हैं। बताया जाता है कि ऐसे लोग दूध छूटते ही पशुओं बांधना बंद कर देते हैं, जिससे वे आवारागर्दी करने लगते हैं। मजे की बात यह कि बच्चा देते ही वे जानवर को फिर से घर ले आते हैं।
आसपास नहीं है कांजी हाब्स
आवारा पशुओं की समस्या कोई नई नहीं है। काफी दिनो तक ऐसे जानवरों के लिये जगह-जगह कांजी हाब्स संचालित थे। जिनका रखरखाव नगर पालिका या ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता था। 5-7 साल पहले राज्य सरकार द्वारा सभी कांजी हाब्स बंद कर दिये, जिससे यह दिक्कत ज्यादा बढ़ गई।
कमनलाथ सरकार ने की थी पहल
ज्ञांतव्य हो कि पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार द्वारा आवारा पशुओं को निराश्रित मवेशियों का नाम देते हुए जगह-जगह गौशालायें बनवाने की घोषणा की गई थी लेकिन उस पर आगे कोई काम नहीं हुआ। जानकारी के अनुसार वर्तमान मे जिले मे करकेली जनपद के कौडिय़ा तथा पाली जनपद के मुंदरिया और कुमुर्दू मे ही गौशाला उपलब्ध है, जो जिला मुख्यालय से मीलों दूर है।