नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर सुनवाई करते हुए पत्रकार प्रिया रमानी को आरोपों से बरी कर दिया है। साथ ही अदालत ने एमजे अकबर की याचिका भी खारिज कर दी। रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसे लेकर अकबर ने उनके खिलाफ 15 अक्तूबर 2018 को मानहानि का मामला दर्ज कराया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने अकबर और रमानी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी महिला को 20 साल बाद भी उसके साथ हुए दुर्व्यवहार को बताने का हक है। जिस देश में महिलाओं के सम्मान के बारे में रामायण और महाभारत लिखी गई, वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं, यह शर्म की बात है। कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति यौन शोषण नहीं कर सकता है। जज रविंद्र कुमार पांडे ने कहा कि समाज को समझना ही होगा कि यौन शोषण और उत्पीड़न का पीड़ित पर क्या असर होता है और वह किस दौर से गुजरती है। अदालत ने कहा कि उन्होंने कहा कि अदालत में आरोपी के रूप में पीड़िता को ही खड़ा होना होता है। मेरे से साथ खड़ा रहने वाले सभी लोगों का मैं शुक्रिया अदा करती हूं, खासतौर पर मेरी गवाह गजाला वहाब, जो अदालत में आई और मेरी ओर से गवाही दी। वहीं फैसला आने के बाद ‘मी टू’ के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा गया कि ‘वी वोन यानि हमलोग जीत गए। इसके बाद प्रिया रमानी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी उन्होंने कहा कि कि कोर्ट के फैसले से मैं बहुत खुश हूं। मेरी सच्चाई को कुचलने की कोशिश की जा रही थी लेकिन कानून ने अपना काम सही तरीके से काम किया।उन्होंने कहा कि अदालत में आरोपी के रूप में पीड़िता को ही खड़ा होना होता है। मेरे से साथ खड़ा रहने वाले सभी लोगों का मैं शुक्रिया अदा करती हूं, खासतौर पर मेरी गवाह गजाला वहाब, जो अदालत में आई और मेरी ओर से गवाही दी।
मानहानि केस: एमजे अकबर की याचिका खारिज, अदालत ने प्रिया रमानी को किया बरी
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