मध्यस्थता को मिला वैधानिक स्वरूप

मध्यस्थता को मिला वैधानिक स्वरूप
जिला न्यायालय मे मध्यस्थता जागरूकता शिविर कार्यक्रम का आयोजन
उमरिया। नफरत की आग को नफरत से मिटाओ, कुछ हम पास आएं कुछ तुम भी पास आओ की संकल्पना पर जिला न्यायालय परिसर के सभागार मे मध्यस्थता जागरूकता शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उमरिया श्री सुनत कुमार कश्यप ने मध्यस्थता को वैकल्पिक विवाद समाधान की प्रभावी तकनीक के रूप मे लोगों के बीच प्रचारित करने पर जोर दिया। उन्होने कहा कि पौराणिक काल से मध्यस्थता का उपयोग आपसी समझौतों और विवादों के निराकरण मे किया जाता रहा है। सिविल प्रक्रिया संहिता अंतर्गत अब मध्यस्थता को वैधानिक रूप प्रदान किया गया है। जिसके तहत सीमित संसाधनों व मध्यस्थता से अधिकाधिक लाभ लिया जा सकता है। मध्यस्थता से किसी सिविल प्रकरण के निराकरण से कोर्ट फीस पूरी की पूरी वापस होती है। साथ ही सुलभ सस्ता एवं शीघ्र न्याय प्राप्त होता है। आवश्यकता इस बात की है कि लोग जागरूक हों और इस प्रक्रिया का लाभ उठायें।
शिविर मे प्रशिक्षित मध्यस्थ एवं अधिवक्ता यश कुमार सोनी ने भी मध्यस्थता की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर न्यायाधीश अशरफ अली, आरएस कनौजिया, राजेश तिवारी, आरपी अहिरवार, धमेन्द्र खण्डायत, खालिदा तनवीर, राजन गुप्ता सहित बड़ी संख्या मे अधिवक्ता एवं पक्षकारगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी बीडी दीक्षित ने किया।

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