पैसा काट कर दिखाये भविष्य के सपने, फिर लील गये गरीबों की कमाई
चपहा और पिपरिया कालरी मे अधिकारियों की शह पर हुई धांधली
उमरिया। बीते दिन साउथ इस्टर्न कोल्ड फ ील्डस लिमिटेड के चपहा कोल मांइस मे वर्षो से कार्यरत सैकड़ो ठेका श्रमिकों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को शिकायत करते हुए अपनी पीएफ फं ड की राशि की मांग की थी लेकिन प्रशासनिक लिखा पढ़ी मे उलझे इस मामले मे अभी तक कोई उम्मीद की आस नजर नही आ रही है। गरीब मजदूर आज भी न्याय की गुहार लगा रहे है। सुनवााई न होने से हलाकान चपहा और पिपरिया कोल मांइस के सैकड़ो श्रमिक अपनी पीएफ फं ड की राशि की मांग को लेकर उपभोक्ता फ ोरम मे जाकर न्याय की मांग कर सकते है। सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि अब सभी मजदूरों ने एकत्र होकर यह फैसला किया है कि अगर तीन दिनों के भीतर कालरी के ठेकेदार और प्रबंधन पीएफ फं ड नही देते हैं तो वह उपभोक्ता फ ोरम का दरवाजा खटखटायेंगे।
काट लिया 24 प्रतिशत पैसा
जानकारी मिली है कि वर्ष 2011 से लेकर अब तक सैकड़ो ठेका मजदूर ठेकेदार डीके सिंह, अवध किशोर शर्मा, रामअवध नामक व्यक्तियो के अंडर मे भूमिगत खदानो मे कार्य करते आ रहे है। जिनके वेतन से हर मांह 24 प्रतिशत राशि पीएफ फं ड के नाम से काटी जाती थी। अब जब ठेकेदार का काम खत्म हो गया तो उसने एंव प्रबंधन ने किसी भी प्रकार का पीएफ फं ड देने से मना कर दिया है।
करोड़ों का हुआ हेरफेर
कोल मांइस के सूत्रों की माने तो पिपरिया और चपहा मे काम करने वाले ठेका मजदूरों के हक की रकम खाने के फेर मे अधिकारी और ठेकेदार इतना मशगूल हो गये कि उन्हें नियम कायदों का भी भय नही रहा। जिसका नतीजा यह हुआ कि आज मजदूरों के हाथों से काम छिन गया और वे बेरोजगार हो गये। बताया गया कि मजदूरों के वेतन से काटी गई राशि करोड़ो रुपये है। इस लूटपाट मे कोल मांइस के बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर के कर्मचारी शामिल है। जिन्होंने मजदूरों के खून पसीने की कमाई से अपने घर रोशन किये हैं वे अब आज उन्हीं लोगों को पहचानने से इंकार कर रहे है।
कूटरचित धोखाधड़ी का मामला
कालरी और ठेकेदारों के नजदीकी सूत्रों की माने तो काम पर रखे गये सैकड़ो ठेका मजदूरों को कई महीनो तक निर्धारित वेतन का भुगतान ही नहीं किया गया। मजदूरों ने जब भी इस संबंध मे आवाज उठाई तो उन्हें यह कह चुप करा दिया गया कि तुम सबके भविष्य के लिए पीएफ फं ड काटा जा रहा है। इतना ही नहीं उन सभी को फर्जी पीएफ नंबर भी प्रदाय कर दिया गया। जब मजदूर सच्चाई का पता लगाने पीएफ फं ड कार्यालय जबलपुर पहुंचे और वहां जो जानकारी मिली उससे उनके पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। ठेकेदार और प्रबंधन ने मजदूरों के वेतन से काटा गया एक रूपया भी उनके पीएफ खाते मे जमा नहीं किया।
तत्कालीन सब एरिया मैनेजर की मिली भगत
बताया जाता है कि एग्रीमेंट के अनुसार कोल माईन्स मे ठेकेदार द्वारा मजदूरों के वेतन से जितनी भी राशि काटी जाती है, उसमे उतनी ही रकम स्वयं द्वारा मिला कर वीवी स्टेटमेंट के सांथ पीएफ कार्यालय मे जमा की जाती है। प्रबंधन की यह जिम्मेदारी है कि वह काटी गई राशि निर्धारित कार्यालय मे जमा होने की तस्दीक कर लेबर पेमेंट सर्टिफिकेट जारी करे। जिसके बाद ही ठेकेदार के भुगतान की कार्यवाही होती है, परंतु तत्कालीन सब एरिया मैनेजर बीके प्रजापत और उप कार्मिक प्रबंधक अरूण कुमार बरई द्वारा ठेकेदार से सांठगांठ कर बिना कार्यवाही के उक्त प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। यही कारण है कि आज मजदूर अपनी राशि के लिये दर-दर भटकने पर मजबूर हैं।
प्रबंधन नहीं है जिम्मेदार
यद्यपि ठेका मजदूरों को लगाने या निकालने का काम संबंधित ठेकेदार का होता है। उसका वेतन या पीएफ काटने और जिम्मेदारी भी उन्ही की है। इसके बावजूद सभी ठेकेदारों को बुला कर मजदूरों की समस्या हल करने को कहा गया है। प्रबंधन सीधे तौर पर इस मामले मे कुछ भी नहीं कर सकता।
एसडी द्विवेदी
उप क्षेत्रीय प्रबंधक
उमरिया उप क्षेत्र