मंहगाई ने बुझाई गरीब की चिमनी
ग्रामीण नहीं खरीद रहे मिट्टी का तेल, चार महीने मे 30 रूपये बढ़ी कीमत
बांधवभूमि, उमरिया
मंहगाई के कहर ने गरीबों को संदियो तक सांथी रही चिमनी से भी बिछडऩे को मजबूर कर दिया है। बीते दिनो कीमतों मे आये भारी उछाल की वजह से लोगों ने मिट्टी तेल खरीदना ही बंद कर दिया है। बताया गया है कि नये साल के लगभग साढ़े तीन महीनो के दौरान मिट्टी तेल की कीमतों मे लगभग 30 रूपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। दिसंबर 2021 मे जिस केरोसीन के दाम महज 48 रूपये थे, वह अब 78 रूपये हो गया है। कई ग्रामीणो ने बांधवभूमि से चर्चा करते हुए बताया कि इस कीमत पर मिट्टी तेल लेना उनके लिये संभव नहीं है। हलांकि वे इसे परेशानी भरा निर्णय बताते हैं। उनका कहना है कि गावों मे अघोषित कटौती और आंधी-तूफान, बारिश के दौरान घर से लेकर खेत व खलिहान तक चिमनी ही उनका बड़ा सहारा है, इसके बगैर कई समस्यायें आयेंगी, पर क्या करें मजबूरी के चलते उन्हे इसे बुझाना पड़ रहा है।
तीन मांह से नहीं आई खेप
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले मे प्रतिमांह 1.20 लाख लीटर केरोसीन का आवंटन होता है। तीन मांह पहले इसकी खेप आई थी, उसके बाद से सप्लाई पूरी तरह बंद है। इसका मुख्य कारण खपत और डिमाण्ड का नहीं होना है। बताया गया है कि खुदरा दुकानो मे अभी भी थोड़ा बहुत मिट्टीतेल मौजूद है, परंतु उसे खरीदने ग्रांहक नहीं आ रहे।
बहुउपयोगी ईधन है केरोसीन
उल्लेखनीय है कि मिट्टीतेल एक बहुउपयोग ईधन है। इसका इस्तेमाल चिमनी के अलावा भोजन बनाने, बैलगाड़ी, डीजल इंजिन की मरम्मत तथा उपकरणो को साफ करने आदि कार्यो मे भी होता है। इधर उज्जवला गैस की कीमतें बढऩे के कारण विशेषकर गरीब, किसान और गावों मे रहने वाले लोग भोजन के लिये चूल्हे की तरफ लौट पड़े हैं। ऐसे मे इसकी कीमतों मे हुई भारी बढ़ोत्तरी से पहले ही मंहगाई की मार झेल रही आम जनता की दिक्कतें बढ़ गई हैं।
जिले मे नहीं है डिमाण्ड
जिले मे मिट्टीतेल की मांग वर्तमान मे नहीं के बराबर है। खपत के आभाव मे विभाग द्वारा डिमाण्ड नहीं की जा रही है। आगामी दिनो मे खरीद शुरू होने पर जरूरत के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
बीएस परिहार
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी
जिला-उमरिया