मंगठार मे 2 दिन का कोयला

मंगठार मे 2 दिन का कोयला
ठप्प होने की कगार पर संगांता विद्युत केन्द्र, बिजली संकट गहराने के आसार
बांधवभूमि, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली। जिले के संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे अब मात्र दो दिनो के कोयले का स्टाक शेष रह गया है। यदि प्लांट मे जल्दी ही नई सप्लाई नहीं हुई तो बिजली का उत्पादन ठप्प होना तय है। इससे प्रदेश का बिजली संकट और भी गहरा सकता है। सूत्रों के मुताबिक कल 21 अप्रेल को संयंत्र मे महज करीब 30 हजार टन कोयले का स्टॉक बचा था। जबकि प्लांट की सभी इकाईयों को पूरी क्षमता के सांथ चलाने के लिये रोजाना 20 हजार टन कोयले की जरूरत है। बताया जाता है कि कोयले की किल्लत के कारण विद्युत केन्द्र की अधिकांश इकाईयों को लगभग आधे लोड पर चलाया जा रहा है, इस का असर उत्पादन पर साफ दिखाई दे रहा है। मामले के संबंध मे संगांतावि केन्द्र का कोई भी अधिकारी खुल कर कुछ भी नहीं बोलने को तैयार नहीं है। बांधवभूमि ने इसे लेकर मुख्य अभियंता वीके कैलसिया से संपर्क करने की कोशिश की पर उनका मोबाईल नहीं उठा।
शुरू हुई अघोषित कटौती
उल्लेखनीय है कि गर्मियों मे जहां बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं विद्युत गृहों मे उत्पादन कम हो रहा है। इसका मुख्य कारण कोयले की कमी को बताया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि केन्द्र और राज्य सरकार मे तालमेल की कमी के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। बहरहाल बिजली संकट के चलते अन्य स्थानो की तरह उमरिया जिले मे भी बिजली की कटौती शुरू हो गई है। ग्रामीण अंचल इस समस्या से खासे प्रभावित बताये जा रहे हैं।
फुल लोड पर सिर्फ एक यूनिट
प्लांट से जुड़े सूत्रों का दावा है कि कोयले की कमी के कारण संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र की सबसे बड़ी 500 मेगावाट क्षमता वाली इकाई को छोड़ कर शेष सभी अण्डर लोड पर चलाई जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक संयंत्र मे 210 की 4 तथा 500 मेगावाट की 1 इकाई स्थापित है। इनसे से यूनिट नंबर 3 वार्षिक रखरखाव के कारण बंद है जबकि 1, 2 और 4 नंबर यूनिट चालू हैं, परंतु इन सभी मे 130 मेगावाट के आसपास बिजली बनाई जा रही है। बताया गया है कि यूनिट नंबर 3 को वृहद वार्षिक रखरखाव के कारण 55 दिनो के लिये बंद किया गया है।
903 मेगावाट बिजली का योगदान
संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे गत 21 अप्रेल को सुबह 11.45 बजे कुल मिला कर 903 मेगावाट बिजली बन रही थी। इनमे सबसे शानदार प्रदर्शन 500 मेगावाट यूनिट का रहा, जिसने अपनी क्षमता से ज्यादा अर्थात 507 मेगवाट बिजली का उत्पादन किया। वहीं प्लांट की 1 नंबर इकाई मे 133, 2 नंबर मे 129 तथा 4 नंबर मे 134 मेगावाट का योगदान दिया।

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