भारी न पड़ जाय लापरवाही

भारी न पड़ जाय लापरवाही
एसईसीएल की बस न चलने से बढ़ी समस्या, खतरों के बीच पैदल स्कूल पहुंच रहे छात्र
बांधवभूमि, उमरिया
एसईसीएल जोहिला एरिया प्रबंधन द्वारा केन्द्रीय विद्यालय नौरोजाबाद के लिये बसों का संचालन शुरू न किये जाने से बच्चों की सुरक्षा खतरे मे पड़ गई है। कई स्थानीय बच्चे हाईवे पर मीलों पैदल चल कर स्कूल पहुंच रहे हैं। जबकि उमरिया आदि शहरों के छात्र यात्री बसों से आवागमन के लिये मजबूर हैं। ये बसें बच्चों को नौरोजाबाद तिराहे पर छोड़ती है, जहां से वे विद्यालय आते हैं। वापसी मे भी उन्हे इसी स्थान से बस पकडऩी होती है। उल्लेखनीय है कि उक्त तिराहा नेशनल हाईवे पर स्थित है, जबकि स्कूल भी नौरोजाबाद मुख्य मार्ग के पास है। दोनो सड़कों पर बड़ी मात्रा मे भारी ट्रक, बस, कार, जीप और दोपहिया वाहन चलते रहते हैं। जिसके चलते कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है।
शैतानी बन सकती मुसीबत
स्कूल की बसों मे बच्चों का आना-जाना अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित माना जाता है। क्योंकि बस छात्रों को निर्धारित स्थानो से लेकर सीधे विद्यालय परिसर मे छोड़ती है और वहीं से छुट्टी के बाद उन्हे वापस ले आती है। सांथ ही अटेण्डर बच्चों की शैतानियों पर भी नजर रखते हैं। कम्पनी की बसें नहीं चलने से अब उन्हे यात्री बसों मे ठसाठस भीड़ के सांथ सफर करना पड़ रहा है। वहीं स्कूल छूटने के बाद उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। नौरोजाबाद तिराहे के पास रेलवे लाईन भी मौजूद है, यदि कोई बच्चा गलती से भी वहां पहुंच गया, या दौड़ भाग के दौरान हाईवे पर गिर गया तो हालात क्या बनेंगे, कोई नहीं बता सकता।
करोड़ों की कमाई, क्षेत्र को ठेंगा
केन्द्रीय विद्यालय नौरोजाबाद मे एसईसीएल कामगारों के अलावा अन्य विभागों और विभिन्न परिवारों के बच्चे भी पढ़ाई करते हैं। जिन्हे लगभग हर वर्ष बस की समस्या से जूझना पड़ता है। कई बार तो एसईसीएल के अधिकारी साफ तौर पर कह देते हैं कि यह सुविधा केवल कम्पनी के लोगों के लिये है। हलांकि बाहरी बच्चों के अभिभावकों से बस की सुविधा के लिये भारी भरकम फीस भी ली जाती है। मतलब साफ है कि जिले की जमीन को खोखला करके करोड़ों की कमाई करने वाली इस कम्पनी के पास क्षेत्र के लोगों के लिये ठेंगे के अलावा कुछ भी नहीं है।
बच्चों के प्रति भी असंवेदनशील
इधर कम्पनी के अधिकारी बस संचालन के लिये टेण्डर जारी करने की बात कहते हैं। सूत्रों के मुताबिक एक मांह पहले ही यह प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमे कोई तकनीकी त्रुटि आ गई। अब क्षेत्रीय मुख्यालय के कार्मिक विभाग ने नये सिरे से निविदा की कार्यवाही प्रारंभ की है। बताया जाता है कि इस समूची प्रक्रिया मे कम से कम 15 दिन और लग जायेंगे, तब जा कर बस ऑपरेटर को कार्यादेश जारी होगा। मतलब यह कि बसों का संचालन अगस्त से पहले शुरू नहीं हो सकेगा। तब तक बच्चे यूं ही ठोकरें खा कर खतरों के बीच स्कूल पहुंचेंगे।
कमीशन नहीं तो दिलचस्पी नहीं
आमतौर पर सामान खरीदी हो या ठेका, एसईसीएल मे सभी प्रक्रियाएं तत्काल हो जाती हैं, पर बस किराये पर लेने का काम 4 महीने मे भी पूरा नहीं हो पाया है। जानकारों का दावा है कि सारा पेंच कमीशनबाजी मे फंस गया है। कम्पनी के अधिकारी बस ऑपरेटरों से जितनी डिमाण्ड कर रहे हैं, उतनी वो देने को तैयार नहीं है। इसी मोलभाव के चक्कर मे यह मामला उलझा हुआ है और कम्पनी के भ्रष्ट अधिकारी अपने निजी स्वार्थ और लालच के फेर मे सैकड़ों बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं।

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