भारत से लेकर अमेरिका तक दिखा उबाल

किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाल दिखाया दम, उधर ट्रंप झूके, यहां कौन मानेगा?
नई दिल्ली। गुरूवार को भारत से लेकर अमेरिका तक आंदोलन और विद्रोह का ऐसा उबाल देखने को मिला जिसमें जनता का आक्रोश चरम पर रहा। भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाला। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद जिस हिंसा की आशंका थी और ये हुई भी। जिद्दी डोनाल्ड ट्रम्प समर्थकों ने हिंसा कर चुनाव परिणाम बदलने का दबाव बनाया, लेकिन अंत में ट्रंप को झूकना पड़ा। उधर, शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत होनी है। इसमें कौन मानेगी इस पर पूरे देश की नजर है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का गुरुवार को 43वां दिन था। किसानों ने दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाला। मार्च में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। यह मार्च सिंघु बॉर्डर से टिकरी, टिकरी से शाहजहांपुर, गाजीपुर से पलवल और पलवल से गाजीपुर तक निकाला गया। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सरकार को चेतावनी देने के लिए यह रैली निकाल रहे हैं। 26 जनवरी को हम ट्रैक्टर की परेड निकालेंगे। उन्होंने कहा कि हम मई, 2024 तक आंदोलन के लिए तैयार हैं। ट्रैक्टर मार्च को संबोधित करते हुए किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सरवन सिंह पंढेर, स्वर्ण सिंह चटला, जसबीर सिंह पिडी ने कहा कि मोदी सरकार 133 करोड़ लोगों की आवाज सुने बिना विभिन्न षड्यंत्रों को अपना रही है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसान संगठनों के साथ बातचीत चल रही है और दूसरी तरफ, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कह रहे हैं कि देश के किसान संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। ऐसे बयान देकर केंद्र सरकार दोयम दर्जे का काम कर रही है।
लगी 15 किलोमीटर लंबी लाइन
केएमपी एक्सप्रेस-वे पर किसानों की ट्रैक्टर रैली शुरू हो गई है। सिंघु बॉर्डर से किसानों से का जत्था पलवल की ओर निकल पड़ा है। इस दौरान सैकड़ों ट्रैक्टर के साथ हजारों किसान मौजूद हैं। ट्रैक्टर मार्च के कारण 15 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई है।
अब पीछे नहीं हट सकते
भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लेकर सरकार से कई दौर की वार्ता हो चुकी है। भाजपा सरकार जिद पर अड़ी है, क्योंकि उन्हें ये भ्रम है कि आज तक ये होता आया है कि प्रधानमंत्री ने जो कानून लागू किए हैं, वो वापस नहीं हुए हैं, लेकिन जिस देश की जनता सड़कों पर है और राजा को नींद आए तो समझ लेना चाहिए कि मामला गड़बड़ है। पत्रकारों से चढूनी ने कहा कि सरकार किसानों की ताकत की परीक्षा ले रही है।
26 जनवरी को किसान परेड की तैयारी
किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। आज का मार्च उसी का ट्रेलर है। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है। यही अपील क्क के किसानों ने की है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च की अगुआई महिलाएं ही करेंगी। हरियाणा की करीब 250 महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं।
किसानों की सरकार से आज बातचीत
किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी की मीटिंग बेनतीजा रही और अगली तारीख 8 जनवरी तय हुई। अगली मीटिंग में कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर अलग कानून बनाने की मांग पर बात होगी। यह 9वें दौर की बैठक होगी। इससे पहले सिर्फ 7वें दौर की मीटिंग में किसानों की 2 मांगों पर सहमति बन पाई थी, बाकी सभी बैठकें बेनतीजा रहीं।
सरकार बनाए गाइडलाइन: सुप्रीम कोर्ट
एक महीने से अधिक समय से केंद्र के 3 कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड 19 महामारी और किसान आंदोलन को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि किसानों का आंदोलन 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में उत्पन्न हुई तबलीगी जमात जैसी स्थिति बना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या आंदोलन में किसान कोरोना संक्रमण के प्रसार के खिलाफ एहतियाती कदम उठा रहे हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलनस्थलों पर कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। बार एंड बेंच डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार से कोर्ट को यह भी अवगत कराने को कहा है कि आंदोलनस्थलों पर स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
23 को मप्र में राजभवन का घेराव करेगी कांग्रेस
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों किसी कानून किसानों के खिलाफ हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसान बुरी तरह प्रभावित होंगे। प्रदेश कांग्रेस इसके विरोध में और किसानों को जागरूक करने के लिए प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन चलाएगी। इसकी शुरुआत सात जनवरी से होगी। सात से लेकर 15 जनवरी के बीच सभी जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी का धरना प्रदर्शन होगा। 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे से दो बजे तक पूरे प्रदेश में किसानों द्वारा चक्काजाम किया जाएगा। 16 जनवरी को छिंदवाड़ा में किसान सम्मेलन और 20 जनवरी को मुरैना में किसान महापंचायत की जाएगी। 23 जनवरी को किसानों द्वारा भोपाल में राजभवन का घेराव किया जाएगा। मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता कर आंदोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की उन्होंने बताया कि तीनों कृषि कानून किसानों को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। इससे सिर्फ और सिर्फ बड़े व्यापारियों को ही लाभ होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलने का सर्वाधिक नुकसान मध्य प्रदेश के किसानों को होगा क्योंकि मध्य प्रदेश में धीरे-धीरे एमएसपी पर खरीद का दायरा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हम ने पंजाब को गेहूं खरीद के मामले में पीछे छोड़ा है।

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