नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और संघ प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है। भारत सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ऐसा होने देने की अनुमति दी है। राहुल का बयान मोहन भागवत के उस बयान पर आया है जिसमें उन्होंने नागपुर में शस्त्र पूजन के बाद संबोधन में कहा कि यह दुनिया के सामने स्पष्ट हो चुका है कि कैसे चीन ने अभिमान में हमारी सीमाओं का जो अतिक्रमण किया और जिस प्रकार का व्यवहार किया और कर रहा है। उसके विस्तारवादी रवैये से सभी वाकिफ हैं। इस समय उसने ताइवान, वियतनाम, अमेरिका, जापान के साथ भारत से लड़ाई मोल ली है। भारत की प्रतिक्रिया ने चीन को परेशान कर दिया है।
Deep inside, Mr Bhagwat knows the truth. He is just scared to face it.
The truth is China has taken our land and GOI & RSS have allowed it. pic.twitter.com/20GRNDfEvD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 25, 2020
भागवत के बयान पर पलटवार करते हुए राहुल ने कहा कि कहीं न कहीं भागवत सच्चाई जरूर जानते हैं, लेकिन वे इसका सामना करने में डरे हुए हैं। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘अंदर ही अंदर श्री भागवत सच जानते हैं। वह सिर्फ इसका सामना करने से डर रहे हैं। सच्चाई यह है कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है और भारत सरकार और आरएसएस ने ऐसा होने की अनुमति दी है।’
शक्ति और दायरे में भारत को चीन से बड़ा होना चाहिए: भागवत
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत को शक्ति एवं व्याप्ति (ताकत एवं दायरा) के क्षेत्र में चीन से बड़ा होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवादी प्रकृति से पूरी दुनिया अवगत है। भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित कर रहे थे। भागवत ने कहा कि भारत को चीन के खिलाफ बेहतर सैन्य तैयारियां करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब कई देश चीन के सामने खड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘चीनी घुसपैठ पर भारत की प्रतिक्रिया से चीन सकते में है। चीन की अपेक्षा भारत को अपनी शक्ति एवं दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है।’ संघ प्रमुख ने कहा, ‘चीन ने महामारी के बीच में हमारी सीमाओं का अतिक्रमण किया।’ उन्होंने कहा कि उस देश (चीन) की विस्तारवादी प्रकृति से पूरी दुनिया अवगत है। उन्होंने ताइवान एवं वियतनाम का उदाहरण चीन की विस्तारवादी योजना के रूप में दिया। भागवत ने कहा कि हमारी मंशा सबके साथ मित्रता करने की है और यह हमारी प्रकृति है। उन्होंने कहा कि हमें किसी प्रकार से कमजोर करने अथवा खंडित करने का प्रयास कतई स्वीकार्य नहीं है और हमारे विरोधी अब इससे अवगत हो चुके हैं।