भविष्य में कोरोना हो जाएगा मामूली सर्दी-जुकाम वाला वायरस

भविष्य में कोरोना हो जाएगा मामूली सर्दी-जुकाम वाला वायरस                                                                     नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को परेशान करके रखा है। ये वायरस लोगों को संक्रमित करके उनके इम्यूनिटी सिस्टम पर वार करता है, इसकी वजह से जहां एक तरफ काफी संख्या में लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है, तो वहीं दूसरी तरफ काफी संख्या में लोगों ने इस वायरस को मात भी दी है। इन सबके बीच एक ऐसा अध्ययन सामने आया है, जिसके मुताबिक अगर बचपन में लोग कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित हो जाते हैं तो आगे चलकर भविष्य में ये वायरस अपना स्वरूप बदल लेगा, और फिर ये उन वायरस जैसा हो जाएगा जिनके कारण केवल मामूली सर्दी-जुकाम होता है। दरअसल, मंगलवार को पत्रिका साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन के निष्कर्ष में ये बात कही गई है कि आगे चलकर ये कोरोना वायरस मामूली सर्दी-जुकाम वाला वायरस बन जाएगा। इस अध्ययन में आम सर्दी-जुकाम करने वाले चार कोरोना वायरस और सार्स-सीओवी-1 को लेकर रिसर्च की गई। जहां वैज्ञानिकों को इस विषाणु से संबंधित प्रतिरक्षा विज्ञान और महामारी विज्ञान के डेटा के विश्लेषण से सार्स-सीओवी-2 के भविष्य के स्वरूप के संबंध में अनुमान लगाने वाला एक मॉडल विकसित करने में मदद मिली।

वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया कि पिछले लंबे समय से आम सर्दी-जुकाम करने वाले कोरोना वायरस लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। यही नहीं, इस वायरस से लगभग हर इंसान कम आयु में संक्रमित हो चुका है। इसी को लेकर इस अध्ययन की लेखिका व अमेरिका की इमोरी यूनिवर्सिटी की जेनी लाविने ने कहा कि, बचपन में हुआ ये संक्रमण आयु बढ़ने पर गंभीर बीमारी से हमारी रक्षा करता है।

कोरोना वायरस की वैक्सीन भी आ चुकी है, लेकिन कहीं न कहीं लोगों के मन में इस वायरस को लेकर अब भी चिंता बरकरार है कि कहीं ये वायरस भविष्य में तो लोगों को अपना शिकार नहीं बनाएगा। लेकिन अगर इस अध्ययन पर नजर दौड़ाएं तो इसमें कहा गया है कि भविष्य में सार्स-सीओवी-2 ऐसा संक्रमण बन सकता है, जिसका शिकार बच्चे तीन से पांच वर्ष तक की आयु में ही हो जाएंगे और ऐसा होने पर ये संक्रमण मामूली बन जाएगा।

ऐसा नहीं है कि बच्चे जब बड़े हो जाएंगे, तो वो इस वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते। इसको लेकर इस अध्ययन में कहा गया है कि लोग बड़े होने पर भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बचपन में संक्रमित हो जाने के कारण उनमें इस वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो चुकी होगी। अध्ययन में इस बात को भी कहा गया कि इस वायरस का स्वरूप कितनी तेजी से बदलता है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि ये वायरस कितनी तेजी से फैलता है और सार्स-सीओवी-2 रोधी टीके किस प्रकार से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं। इस अध्ययन के मुताबिक, बचपन में इस वायरस से संक्रमित हो जाने के कारण इसका फायदा बड़े होने पर मिल सकेगा।

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