बाघ के हमले मे युवक की मौत

हफ्ते भर मे शिकार हुआ दूसरा ग्रामीण, तीन लोग हो चुके हैं घायल
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के जंगली इलाकों मे बाघ और इंसानो के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता ही जा रहा है। चालू हफ्ते मे इन घटनाओं मे दो लोगों की जान जा चुकी है, जबकि पार्क क्षेत्र के अलग-अलग स्थानो पर टाईगर अटैक की घटनाओं मे तीन व्यक्ति घायल हो गये हैं। गत शनिवार को बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से सटे मानपुर बफर परिक्षेत्र के मझखेता गांव मे मवेशी चरा रहा युवक शेर के हमले का शिकार हो गया। व्यक्ति का नाम अजय पिता मंगल बैगा 22 निवासी ग्राम मझखेता बताया गया है, जो अन्य ग्रामीणो के सांथ रोज की तरह जानवर चरा रहा था। स्थानीय लोगों के मुताबिक दोपहर करीब 3 बजे झाडिय़ों मे छिपे बाघ ने युवक पर अचानक हमला कर दिया। इस घटना मे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसे की सूचना मिलते ही विभाीगय अमला वहां पहुंच गया और बुरी तरह जख्मी अजय बैगा को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानपुर ले जाया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गई।
दो दिन पहले वृद्ध की गई थी जान
गौरतलब है कि बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से लगे धमोखर परिक्षेत्र मे भी चरवाहे पर बाघ ने हमला कर दिया था। इस घटना मे सुखदेव प्रसाद पिता माली राय 77 निवासी ददरौड़ी की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई। इसके ठीक दो दिन बाद मानपुर मे यह हादसा हो गया। खबर मिली है कि पनपथा बफर क्षेत्र के ग्राम जगुआ मे भी बाघ ने कमलेश भूमिया नामक युवक को बुरी तरह घायल कर दिया। जिसे कटनी जिले के बरही के अस्पातल मे भर्ती कराया गया है।
जुलाई मे लगातार हो रहे हादसे
जुलाई के महीने मे बाघों के हमले की घटनाओं मे अचानक तेजी आई है। इससे क्षेत्र मे तनाव और खौफ का माहौल है। इस महीने की 5 तारीख को जिले के मानपुर परिक्षेत्र अंतर्गत खेरवा हार मे गोही बीन रही महिला बिसरती पति फूलसाय 61 निवासी देवरी पर बाघ ने हमला कर दिया था। जिसके बाद 13 जुलाई को बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के डोभा बीट मे भगवानदीन पिता विशंभर अगरिया 42 निवासी रक्सा बाघ के हमले का शिकार हुआ।
क्यों बढ़ रहा संघर्ष
जानकारों का मानना है कि बांधवगढ़ तथा जिले के अन्य जंगलों मे बाघों की बढ़ती आबादी और ग्रामीणो द्वारा अक्सर जंगलों का रूख करने के कारण समस्या बढ़ी है। दरअसल बाघों को इंसानी दखल किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। कई बार शिकार को ताड़े वनराज अचानक पहुंचे व्यक्ति पर खफा हो कर हमला कर देते हैं। दूसरा का कारण शिकार अथवा शावकों पर खतरा महसूस करने का है। इनमे से अधिकांश परिस्थितियों मे बाघ की नियत आदमी का शिकार या उसकी हत्या करने की नहीं होती। वे केवल आगाह करने के लिये इस तरह का कदम उठाते हैं, हलांकि उनकी जरा सी प्रतिक्रिया किसी की भी जान लेने के लिये काफी होती है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *