बाघों से सुरक्षित वन और पर्यावरण

बाघों से सुरक्षित वन और पर्यावरण
प्रकृति की अमूल्य धरोहर है बांधवगढ़ टाईगर, देखते ही बनता ठाठ-बाठ
(बाघ दिवस पर विशेष-राजेश शर्मा)
उमरिया। बांधवगढ़ के बाघ न सिर्फ उमरिया जिले बल्कि मध्यप्रदेश और राष्ट्र के लिये गौरव का प्रतीक हैं। मस्तानी चाल, बेपरवाह डील-डौल, निर्भयता, रौब और चतुरता उसे अन्य जंगली जीवों से अलग करती है। कहा जाता है कि सदियों पहले वे आस्ट्रेलिया से चल कर यहां पहुंचे और बंगाल टाईगर के रूप मे जाने गये। एक दौर वह भी था जब शक्तिशाली बाघों का शिकार पराक्रम का पर्याय माना जाता था। इसी वजह से इतने बाघों का वध हुआ कि वे लुप्त प्राणी की श्रेणी मे आ गये। कालांतर मे उनके संरक्षण और संवर्धन के लिये शासन ने टाईगर प्रोजेक्ट लागू किया।
150 से ज्यादा बाघ
बांधवगढ़ नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक विंसेन्ट रहीम के मुताबिक पार्क मे करीब 104 वयस्क बाघ हैं, जबकि 1 वर्ष से कम आयु के शावकों की संख्या लगभग 47 हैं। इन्ही की वजह से मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा प्राप्त हुआ है।
दुनिया का सबसे चालाक शिकारी
बाघ को दुनिया का सबसे चालाक शिकारी माना जाता है। मौका आने पर वह खुद को इस तरह छिपा लेता है कि शिकार को भनक ही नहीं लग पाती कि उसका काल चंद कदमों की दूरी पर है। बस यही समय उसके लिये शिकार को अपने जबड़ों मे दबोचने के लिये काफी होता है। खतरे या शिकार के समय सामने वाले को भ्रम मे डालने के लिये टाईगर अपनी पीली धारियों का बखूबी इस्तेमाल करता है। इतना ही नहीं विशेष तौर पर सिकुड़ या फैल कर वह अपना रंग तक बदल लेता है।
आदत ही बनती मौत का कारण
अपनी हिम्मत के कारण ही बाघ जंगल का राजा कहलाता है। हलांकि यही आदतें कई बार उसकी मौत का कारण भी बन जाती हैं। अधिकांश मौकों पर टाईगर अन्य जानवरों की तरह भागने की बजाय तन कर खड़े होने मे यकीन रखता है। वयस्क होने पर बनाये गये क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिये उसे प्रतिद्वंदी से भयंकर युद्व लडऩा पड़ता है। यहां तक कि शिकारियों के हांथों मे बंदूक देख कर भी वह नहीं घबराता।
फिर भी मारे जाते बाघ
वर्षो से बाघ इंसान के लिये भय और कौतूहल विषय रहा है। कहा जाता है कि बाघों के खतरे ने ही जिले के वन और पर्यावरण को सुरक्षित रखा है। इसके बावजूद कई बाघों की मौत अपने पशुधन को बचाने के लिये ग्रामीणो द्वारा फैलाये गये बिजली के तार या जहरखुरानी के कारण हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिये शासन स्तर पर अभी तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है।

 

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