बांधवगढ़ मे 6वें बाघ की मौत

फिर आई वनराजों की शामत, तथ्यों की जानकारी देने से बच रहा प्रबंधन
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे शनिवार को एक और बाघ की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक विभाग के गश्ती दल को कल 5 नवंबर की सुबह करीब 6.30 बजे धमोखर परिक्षेत्र की बड़वार बीट मे कंदुहाई हार के पास इसका शव मिला था। प्रबंधन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार घटना की सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे। उन्होने स्वान एवं गश्तीदल के सांथ आसपास के क्षेत्र का सघन निरीक्षण किया। इस दौरान बाघ के समस्त अंग सुरक्षित पाये गये। मृत बाघ की आयु 13 से 14 वर्ष थी, जिसकी मृत्यु वृद्धावस्था के कारण बताई गई है। शव का पीएम चिकित्सा दल द्वारा क्षेत्र संचालक बाटारि एवं बाघ संरक्षण प्राधिकरण नईदिल्ली के प्रतिनिधि के समक्ष किया गया। फॉरेन्सिंक जांच हेतु बिसरा एकत्रित करने के उपरांत शव को समस्त अंगों के सांथ जला कर नष्ट किया गया है।
संदेह के घेरे मे कार्यप्रक्रिया
इस घटना के बाद नेशनल पार्क के अधिकारियों की कार्यप्रक्रिया एक बार फिर संदेह के घेरे मे है। उसका कारण मामले को लेकर उनका रवैया है। धमोखर रेंज मे बाघ की मौत के कई घंटे तक इस पर सेंसर लगा कर रखा गया। किसी को भी इसकी कोई जानकारी देना तो दूर शव का फोटो तक जारी नहीं किया गया। दोपहर बाद एक रटी-रटाई स्क्रिप्ट के आधार पर शवदाह के फोटो सहित विज्ञप्ति जारी की गई। सूत्रों का दावा है कि ऐसा कर प्रबंधन वस्तुस्थिति को छिपाना चाहता है।
इस तरह रूखसत हो रहे टाईगर
जानकारी के अनुसार इस वर्ष अब तक बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे 6 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमे कम से कम 4 की उम्र 5 महीने से 5 साल की बीच थी। इसकी शुरूआत 8 जनवरी 2022 को हुई जब टाइगर रिजर्व के मानपुर रेंज की बिजौरी हर्रई के निकट मझौली बीट मे एक साल से कम शावक का बुरी तरह से नुचा हुआ शव पाया गया। 27 अप्रैल को धमोखर के ददरौड़ी बीट मे 5 साल की बाघिन मृत अवस्था मे मिली। 2 जून को कल्लवाह रेंज के मझखेता बीट मे 4 महीने के बाघ शावक का शव मिला। 4 जुलाई 2022 को पाली रेंज के जमुहाई से सटे साल्हे ढोंडा के जंगल मे रिजर्व फॉरेस्ट मे तीन दिन पुराना 5 से 7 साल के मेल बाघ का शव मिला। 19 सितम्बर 2022 को ताला मे स्पॉटी टी 41 की 11 साल की आयु मे वृद्धावस्था के कारण मौत हो गई।
आरामतलबी से बिगाड़ा खेल
वर्षो की मेहनत से सजाये गये बांधवगढ़ की दुर्दशा का श्रेय महकमे मे फैला भ्रष्टाचार और अधिकारियों की आरामतलबी को जाता है। जानकारों का दावा है कि पार्क के वरिष्ठ अधिकारी अधिकांश समय उमरिया या ताला मे अपने पांच सितारा सुविधा से लैस बंगलों मे बिताते हैं। कार्यालयों मे इनके दर्शन होना किस्मत की बात है। वरिष्ठों द्वारा फील्ड की उपेक्षा और लापरवाही की देखा-सीखी उनके कनिष्ठ अधिकारी भी कर रहे हैं। परिक्षेत्राधिकारियों का काम तो केवल बिल बनाना और बैकों से राशि निकाल कर उसे सही स्थान पर पहुंचाना रह गया है। यदि समय रहते इनसे निजात नहीं मिली तो पार्क का अस्तित्व ही खतरे मे पड़ जायेगा।

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