अपनी टेरिटरी छोडऩे के लिए मजबूर, गर्मी मे बढ़ जाएगा खतरा
बांधवभूमि, उमरिया। बूढ़े और जवानों के बीच जिस तरह से इंसानी समाज मे वैचारिक द्वंद चलता रहता है ठीक उसी तरह जंगल मे जवान ताकतवर बाघ बूढ़े कमजोर बाघों के लिए खतरा बन जाते हैं। जवान और ताकतवर बाघ अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए बूढ़े बाघों को ललकारते हैं। इस दौरान अगर दोनों के बीच संघर्ष होता है तो जवान बाघ बूढ़े बाघों पर भारी पड़ जाते हैं। यही कारण है कि बूढ़े बाघ अपनी अवस्था के अनूकूल व्यवहार करते हुए जंगल से किनारा करने लगते हैं। हाल ही मे मानपुर के सेहरा बीट से बेदखल होकर एक बूढ़ा बाघ नौगंवा होते हुए उर्दना पहुंच गया है।
पन्द्राह से ज्यादा बूढ़े बाघ
बांधवगढ़ के जंगल मे दस साल से ज्यादा उम्र के बाघों की संख्या 15 से ज्यादा है। ताला रेंज मे 10 साल से ज्यादा उम्र के सबसे ज्यादा बाघ हैं। वहीं मानपुर, खितौली, मगधी, पतौर, पनपथा मे भी दस साल से ज्यादा उम्र के बाघ देखने को मिलते हैं। इनमें से कई बाघ तो 12 साल से भी ज्यादा उम्र के हैं। बाघों की उम्र 12 से 15 साल तक होती है, हालांकि कई ऐसे अपवाद भी हैं जिसमें बाघों ने अपनी उम्र 18 साल भी पार की है। बांधवगढ़ मे बाघों की संख्या 130 से ज्यादा है जिसमें दो साल से 6 साल तक के बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है। हालांकि छह महीने से दो साल के शावकों की संख्या भी यहां अच्छी-खासी है।
सिर्फ बाघों मे संघर्ष
जंगल के अंदर संघर्ष बाघों के बीच ही ज्यादा होता है। बाधिन से बाघ का संघर्ष तब होता है जब बाघिन के साथ उसके शावक होते हैं और बाघिन बाघ को अपने पास नहीं आने देती। इस इस स्थिति मे बाघ शावकों पर हमला करने का प्रयास करता है और बाघिन बीच मे आ जाती है। एक बाघ के साथ एक से ज्यादा बाघिन हो तो कोई झगड़ा नहीं होता लेकिन जैसे ही दूसरा बाघ आता है संघर्ष शुरू हो जाता है। अलग क्षेत्रों के जवान और बूढ़े बाघों के बीच ज्यादा संघर्ष होता है।
गर्मी मे खुल जाता है जंगल
जंगल मे पशु संग्राम का ज्यादा खतरा गर्मी के मौसम में होता है। दरअसल गर्मी के मौसम मे एक तो पानी की कमी के कारण बाघ अपना क्षेत्र छोडऩे लगते हैं और पानी की तलाश मे खुले जंगल में निकल जाते हैं। जहां भी दूसरे बाघ से उनका सामना होता है वहीं संघर्ष शुरू हो जाता है। इसी तरह जल स्रोत पर कब्जे के लिए भी बाघों के बीच फाइटिंग होने लगती है और घटनाएं हो जाती हैं। गर्मी मे जंगल खुल जाता है और दूर-दूर तक का नाजारा
साफ नजर आने लगता है।
इनका कहना है
जंगल में आमना-सामना होने पर बाघों के बीच फाइटिंग हो जाती है। इस तरह की फाइटिंग मे कमजोर बाघ प्रभावित हो जाते हैं। बाघों के बीच फाइटिंग न हो इसके लिए जंगल मे गश्त की जाती है।
सुधीर मिश्रा
एसडीओ